Friday, January 21, 2011

गणित के शिक्षक पढ़ा रहे भूगोल


बिहार सरकार के लाख प्रयासों और दावों के बावजूद राज्य में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली जस की तस है। हालांकि सरकार ड्रॉप आउट (छात्रों के स्कूल छोड़ देने की आदत) पर काबू पाने में सरकार कामयाब होती दिख रही है, लेकिन तमाम कवायदों के बावजूद पढ़ाई की स्थिति सुधरती नहीं दिख रही है। शिक्षकों का टोटा भी सुरसा के मुंह की भांति बढ़ता ही जा रहा है। हालात इतने खराब हैं कि गणित के अध्यापक बच्चों को इतिहास और भूगोल पढ़ा रहे हैं। पूर्वी चंपारण जिला स्कूलों में विषयवार शिक्षकों की घोर कमी झेल रहा है। उच्च विद्यालयों में गणित के शिक्षक इतिहास और भूगोल पढ़ा रहे हैं तो विज्ञान के शिक्षक हिन्दी और संस्कृत। जिला शिक्षा पदाधिकारी महेशचन्द्र पटेल भी स्वीकार करते हैं कि माध्यमिक विद्यालयों में छात्र संख्या के अनुपात में शिक्षकों की भारी कमी है। विद्यालयों में विषयवार शिक्षकों की बहाली पूरी तरह नहीं हो पाई है। जो विद्यालय शिक्षकों की कमी झेल रहे हैं, उच विद्यालय पीपरा, मोखलिसपुर, पट्टी बोकाने व बखरी में सामाजिक विज्ञान के शिक्षक नहीं हैं। हाईस्कूल पहाड़पुर में गणित, करमावा रघुनाथपुर में हिन्दी, संस्कृत व विज्ञान, सिसवा पटना उच विद्यालय में विज्ञान, मधुबन में हिन्दी, संग्रामपुर में विज्ञान, सेमरा में संस्कृत, अर्थशास्त्र और शारीरिक शिक्षा, फुलवार में विज्ञान, महादेव साह उच विद्यालय चिरैया में हिन्दी, गृहविज्ञान, जिहुली में हिन्दी व अंग्रेजी, जीतपुर विशुनपुरवा में संस्कृत, गणित व अंग्रेजी के शिक्षक पदस्थापित ही नहीं हैं। इन स्कूलों में वषरें से इन विषयों की पढ़ाई बाधित है। छात्र संख्या के आधार पर देखें तो जिले के 93 माध्यमिक स्कूलों में 5 से 7 शिक्षकों के पद रिक्त हैं। मजबूरी में एक ही विषय के शिक्षक को दो से तीन विषय पढ़ाना पड़ रहा है। जिला प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष डा. रामधारी प्रसाद यादव कहते हंै कि जिले में लगभग 900 मध्य विद्यालय हैं, लेकिन मात्र 50 विद्यालयों में ही गणित और विज्ञान के शिक्षक पदस्थापित हैं। 850 विद्यालयों में गणित और विज्ञान विषय के शिक्षक नहीं हैं। जबकि सरकारी नियमानुसार प्रत्येक मध्य विद्यालय में गणित, विज्ञान व हिन्दी विषय के एक-एक पद सृजित हैं। हालांकि, विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या बढ़ी है, लेकिन विषयवार शिक्षक पदस्थापित नहीं होने से शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट देखी जा रही है। कहने की आवश्यकता नहीं कि बचों की पढ़ाई की बुनियाद होती है प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा, जो विषयवार शिक्षकों के अभाव में कमजोर होती जा रही है।


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