Tuesday, August 2, 2011

नागरिको को नगद पैसा दे सरकार


कैपिटेशन फीस लेने पर एक करोड़ जुर्माना


मानव संसाधन विकास मामलों की संसद की स्थायी समिति ने विद्यार्थियों से कैपिटेशन फीस लेने वाले तकनीकी और चिकित्सा संस्थानों पर एक करोड़ रुपये तक का दंड लगाने की सिफारिश की है। प्रस्तावित कानून में 50 लाख रुपये का जुर्माना का प्रावधान था। राज्यसभा में सोमवार को पेश अपनी रिपोर्ट में समिति ने उल्लंघनों के मामलों में अधिकतम और न्यूनतम जुर्माना लगाने का फैसला सरकार पर छोड़ दिया है। समिति ने मानव संसाधन विकास विभाग से कहा कि वह हर मामले के आधार पर जुर्माने की राशि तय करे और इसे एक ही आधार पर निर्धारित नहीं करे। समिति के अनुसार, बड़े और छोटे उल्लंघन को एकसमान नहीं माना जा सकता और सभी तरह के अपराध के लिए जुर्माने की एक ही राशि लगाना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है। तकनीकी शिक्षा संस्थानों, चिकित्सा शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालयों में अनुचित तरीकों के इस्तेमाल की रोकथाम संबंधी विधेयक 2010 पर अपनी रिपोर्ट में समिति ने कहा कि अगर चिकित्सा कॉलेजों में सीटों के एवज में ली जाने वाली कैपिटेशन फीस की ऊंची दरों पर गौर करें तो इस तरह का शुल्क लेने वाले संस्थानों पर छोटा जुर्माना लगाना प्रभावी प्रतिरोधक नहीं माना जाएगा। समिति ने कहा कि कानून के सभी तरह के उल्लंघनों को गंभीर माना जाना चाहिए क्योंकि इससे विद्यार्थियों के हित प्रभावित होते हैं और उनका भविष्य दांव पर लग जाता है। समिति ने कहा कि कैपिटेशन फीस का सीधा संबंध चिकित्सा संस्थानों की संख्या में कमी से है। समिति ने सिफारिश की कि मानव संसाधन विकास विभाग विभिन्न राज्यों के कानूनों पर विचार कर यह तय करे कि जब्त की गई कैपिटेशन फीस सरकार अपने पास रखे या संबंधित विद्यार्थियों को दे दे क्योंकि राज्यों में इस संबंध में अलग-अलग नियम हैं। समिति ने यह पुरजोर सिफारिश की है कि रूस, चीन, कजाकस्तान और अन्य देशों से चिकित्सा डिग्रियां हासिल करने के बाद भी देश में प्रैक्टिस की इजाजत नहीं पाने वाले विद्यार्थियों की समस्या का व्यावहारिक हल ढूंढा जाए। समिति की सिफारिश है कि शिकायत निवारण का प्रभावी तंत्र बनाने और शैक्षणिक न्यायाधिकरणों में मामलों के निपटारे की समय-सीमा तय करने के लिए कानून में जरूरी प्रावधान किए जाएं। समिति ने कहा कि देश के सुदूर और कमी वाले क्षेत्रों में चिकित्सा शिक्षण संस्थाएं खोलने की जरूरत है ताकि डाक्टरों की दिन पर दिन बढ़ती मांग को पूरा करने के साथ गांवों में डाक्टरों की संख्या बनाम शहरों में चिकित्सकों की संख्या के मुद्दे से भी निपटने में मदद मिलेगी।

If Bill passed, foreign varsities can come next year, says Sibal


HRD Minister Kapil Sibal on Monday said if the Foreign Education Providers Bill was passed in the current session of Parliament, such providers could set up campuses from the next academic session.
He was speaking at the inaugural session of Australia-India Education Council in the national capital, where around 15 vice-chancellors from Australia, led by Senator Chris Evans and Premier of South Australia Mike Ran, interacted with 14 vice-chancellors of India. The council, set up following a 2008 decision, will now make such an interaction between vice-chancellors an annual event.
The two sides, which discussed issues like credit transfer and student mobility, also tried to explore the area of vocational training. “We are looking at vocational collaboration,” Evans said. “We are very strong in vocational training.”
The HRD Ministry is already considering adding vocational training as part of curriculum in schools, and a draft is being prepared in this regard. Pilot projects are already on in Haryana.
Among other issues discussed were security of Indian students in Australia, fake universities indulging in profiteering and visa fraud.