Saturday, May 19, 2012

6 से 14 वर्ष के बच्चों को मिलेगी नि:शुल्क शिक्षा


छह से 14 वर्ष तक के बच्चों को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून में संशोधन के लिए पेश विधेयक को लोकसभा में बुधवार को पारित कर दिया गया। यह विधेयक कुछ दिनों पहले राज्यसभा में पारित हो चुका है। इसमें मदरसा, वैदिक पाठशाला जैसी अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थाओं को आरटीई के दायरे से बाहर करने और सभी तरह की अशक्तता वाले बच्चों को शिक्षा के अधिकार का प्रावधान किया गया है। मुस्लिम बहुल इलाकों में लड़कियों के लिए स्कूल खोलने की मांग करते हुए राजग ने सिब्बल के जवाब का बहिष्कार किया। बच्चों को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार संशोधन विधेयक 2012 पर चर्चा का जवाब देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि शिक्षा के अधिकार कानून में संशोधन कर सभी तरह के अशक्त बच्चों को कक्षा में सामान्य बच्चों की तरह शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि इसके तहत आटिज्म, सेरेबल्र पाल्सी, मानसिक अशक्तता और अन्य तरह की अशक्तता वाले बच्चों को कक्षा में अन्य बच्चों की तरह शिक्षा का अवसर प्रदान करने की व्यवस्था है। इसके लिए कानून में अशक्तता की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है। हमारा मानना है कि छह से 14 वर्ष के प्रत्येक बच्चे को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। मंत्री ने कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून के संबंध में कुछ वगरे से यह मांग की जा रही थी कि अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं को इसके दायरे से बाहर रखा जाए। इस मांग को स्वीकार करते हुए मदरसा, वैदिक पाठशालाओं जैसे अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थाओं को आरटीई के दायरे से बाहर रखा गया है। सिब्बल ने कहा कि यह भी मांग की गई थी कि अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं को स्कूल प्रबंधन समिति के दायरे से बाहर रखा जाए। इसे भी स्वीकार कर लिया गया है और अब ऐसे मामलों में स्कूल प्रबंधन समिति की परामर्शक की भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उच्चतम न्यायालय का भी निर्णय सामने आया है जिसमें कहा गया है कि इस कानून का कोई प्रावधान गैर सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थओं पर लागू नहीं होगा हालांकि यह सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं पर पूरी तरह से लागू होगा। सिब्बल ने कहा कि कानून में एक और संशोधन करते हुए यह प्रावधान किया गया है कि सभी श्रेणियों में छात्र-शिक्षक अनुपात को कानून लागू होने के तीन वर्षो में मापदंड के अनुरूप बनाया जाएगा। साथ ही इस कानून के अमल में किसी तरह की बाधा को केंद्र दूर करेगा। डिस्लेक्सिया पीड़ित बच्चों को भी कानून के दायरे में लाया जाएगा : केंद्र सरकार ने बुधवार को लोकसभा में घोषणा की कि डिस्लेक्सिया-जैसी मानसिक बीमारी से पीड़ित बच्चों को भी मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा कानून के दायरे में जल्द ही लाया जाएगा। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने राज्यसभा से पारित हो चुके नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार संशोधन विधेयक 2012 पर चर्चा शुरू होने से पहले सदस्यों को आस्त किया कि सरकार डिस्लेक्सिया-जैसी गंभीर मानसिक बीमारी से ग्रस्त छह से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को भी इस कानून के दायरे में लाएगी ताकि उनके भी शिक्षा के अधिकार सुनिश्चित हो सकें।

निजी स्कूलों में गरीबी कोटे की फीस बढ़ेगी!


शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) के तहत राजधानी के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए दिल्ली सरकार अधिकतम फीस में बढ़ोतरी करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री अरविंदर सिंह लवली ने विशेष बातचीत में इसका खुलासा किया। उन्होंने साफ तौर कहा कि निजी स्कूलों के इस अनुरोध पर दिल्ली सरकार की ओर से विचार किया जा रहा है और जल्द ही इस पर कोई फैसला सरकार ले लेगी। शिक्षा मंत्री श्री लवली ने कहा कि दिल्ली सरकार सरकारी स्कूलों के बच्चों पर जितना खर्च करती है उतना ही उन्होंने पब्लिक स्कूलों में गरीबी कोटे में पढ़ने वाले बच्चों को दे रही है। लेकिन निजी स्कूलों ने इसे कम बताकर इसे बढ़ाने का अनुरोध किया है जिस पर बातचीत चल रही है। शिक्षा अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर बैठक हुई है। दरअसल मौजूदा समय में निजी स्कूलों को दिल्ली सरकार अधिकतम प्रति बच्चा 1190 प्रति भुगतान कर रही है। अभी तक स्कूल वाले इस लिए चुप थे कि उन्हें लग रहा था सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें राहत मिल जाएगी लेकिन जिस प्रकार से सुप्रीम कोर्ट ने गरीबी कोटे के मामले में उन्हें राहत न देते हुए हर हाल में 25 फीसदी गरीबी कोटे को लागू करने का आदेश सुना दिया उसके बाद अब निजी स्कूल दिल्ली सरकार को यह कह कर दबाव बना रहे हैं कि सरकार या तो गरीबी कोटे की फीस बढ़ाए या अन्यथा वे सामान्य बच्चों की फीस में और ज्यादा इजाफा कर देंगे जिससे सामान्य बच्चों पर फीस का दबाव बढ़ेगा। इस बाबत अत्यधिक फीस वाले निजी स्कूलों ने दिल्ली सरकार को लिखित रूप से अनुरोध किया कि उनकी व्यवस्थाओं और खर्चो को देखते हुए गरीबी कोटे की अधिकतम फीस 1190 रुपए में बढ़ोतरी किया जाए। निजी स्कूलों में बीते दो सालों से गरीबी कोटे के तहत 25 फीसदी गरीब बच्चों का दाखिला हो रहा है। इसमें राजधानी के वे भी 100 पब्लिक स्कूल शामिल हैं जहां फीस 5 हजार 10 हजार रुपए तक है। 100 ऐसे स्कूल है जहां फीस 3 से 5-6 हजार प्रति बच्चा फीस है। इन स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए सरकारी फीस 1190 की गई है।