Monday, February 27, 2012

नए सरकारी मेडिकल कालेज खोलने में मदद करेगा केंद्र


देश में मेडिकल शिक्षा के कुछ खास इलाकों में सिमट जाने और प्राइवेट क्षेत्र पर बढ़ती निर्भरता को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय जल्दी ही अपनी नीति में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। इसका ध्यान अब नए सरकारी मेडिकल कालेज खोलने पर होगा। इसके लिए राज्यों को भारी आर्थिक मदद देने की तैयारी की जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अफसरों के मुताबिक कुछ राज्यों में मेडिकल कालेजों की संख्या बहुत कम है। जबकि दक्षिण के कुछ राज्यों में बड़ी तादाद में ऐसे कालेज खड़े हो चुके हैं। प्राइवेट मेडिकल कालेजों ने मेडिकल शिक्षा इतनी महंगी बना दी है कि यहां से पढ़ाई करने के बाद डॉक्टर सरकारी नौकरी की सोचते ही नहीं। उन्हें तुरंत मोटी रकम चाहिए होती है। ऐसे में सरकारी मेडिकल कालेज खोले जाने की जरूरत को देखते हुए सरकार ऐसी पहल करने जा रही है। नई योजना के तहत नए मेडिकल कालेज खोलने के लिए अगर कोई राज्य सरकार प्रस्ताव करती है तो उसे केंद्र से 80 फीसदी तक आर्थिक मदद दी जा सकती है। इसके तहत अगले पांच साल के दौरान कम से कम 50 ऐसे मेडिकल कालेज खोले जाने की योजना बनाई गई है। योजना आयोग की ओर से स्वास्थ्य ढांचे के विकास पर बनाए गए कार्यदल ने भी मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी दखल को बढ़ाने की जोरदार वकालत की है। इसने हाल ही में अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंपी है। इस समय देश में 335 मेडिकल कालेजों को मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआइ) की मान्यता प्राप्त है। इनमें से सिर्फ 181 ही सरकारी क्षेत्र के हैं। इसी तरह देश में लोगों की स्वास्थ्य जरूरतों को देखते हुए डाक्टरों की भी भारी कमी है।

Saturday, February 18, 2012

बारहवीं पास करते ही मिलेगा रोजगार !

अब वो दिन दूर नहीं जब बड़ी बड़ी नामचीन कंपनिया उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के बाहर खड़ी होंगी और इंटर पास करने वाले छात्रों को स्कूल कैंपस में ही मनचाहे वेतन पर मिलेगा रोजगार। जी हां, निचले स्तर की इस रोजगारोन्मुख शिक्षा पण्राली को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। माध्यमिक विद्यालयों में व्यावसायिक शिक्षा के साथ शैक्षिक पाठ्यक्रमों के एकीकरण का मसौदा भी तैयार कर लिया गया है। इन पाठ्यक्रमों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) ने काफी अध्य्यन और विचारिवमर्श के बाद तैयार किया है। पाठ्यक्रमों का आकषर्ण यह है कि अब हाई स्कूल के छात्रों के पास यह विकल्प होगा कि यदि वे उच्च शिक्षा के रास्ते पर नहीं जाना चाहते है तो वे माध्यमिक शिक्षा में ही ऐसा पाठ्यक्रम चुन सकते है जिसे पूरा करने के बाद उन्हें आगे पढ़ने की आवश्यकता नहीं है और उन्हें मनचाहे वेतन पर अच्छी नौकरी मिल जाएगी। हां, नौकरी देने वाले (नियोक्ता) समय समय पर इन छात्रों को नौकरी के साथ पढ़ाई के अवसर भी मुहैया कराएंगे। इन पाठ्यक्रमों को तैयार करने के लिए कई विकसित देशों में माध्यमिक शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा के चालू पाठयक्रमों का अध्य्यन किया गया है। उक्त विषय पर एनआईओएस द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय की स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की सचिव अंशु वैश्य ने कहा कि बहुत से ऐसे कारण देखे गए हैं जिनके चलते कम उम्र के बच्चे अपनी पढ़ाई छोड़ देते है और इधर उधर रोजगार करने लगते है। ऐसी उम्र के बच्चों की पहचान करने के बाद इस तथ्य पर जोर दिया गया कि यदि स्कूली शिक्षा को व्यावसायिक शिक्षा की पढ़ाई से जोड़ दिया जाए तो आगे चल कर ये ही छात्र न केवल होनहार कामगार कहलाएंगे बल्कि उत्पादन की गुणवत्ता में भी काफी सुधार होगा। इन पाठ्यक्रमों का लाभ दूर दराज के छात्रों को देने के लिए इन्हें दूरस्थ शिक्षा से भी जोड़ा गया है। इस मौके पर एनआईओएस के अध्यक्ष डा. एस.एस.जेना ने छह माह से लेकर दो वर्ष तक के लिए तैयार किए गए रोजगारोन्मुख पाठ्यक्रमों का श्रीमती वैश्य से विमोचन कराया। डा. जेना ने कहा कि इन पाठ्यक्रमों को तैयार करने से पहले नियोक्ताओं के पक्ष को भी ध्यान में रखा गया है।

Tuesday, February 14, 2012

टीईटी में परीक्षार्थियों से वसूले गए 50 करोड़


राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा के संशोधित परिणाम में फेल अभ्यर्थियों को पास करने के आरोप में माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन की गिरफ्तारी के बाद पुलिस इनके मातहतों और कई बड़े नामों से कडि़यां जोड़ने में जुट गई है। वहीं अभ्यर्थी और इन अधिकारियों के बीच कड़ी बनने वाले सैकड़ों दलालों के जाल को भेदना पुलिस के लिए आसान नजर नहीं आ रहा है। सूत्रों के मुताबिक कई दलालों ने अपने लोकेशन और सिमकार्ड बदल दिए हैं। दो हजार से अधिक लोगों के परिणाम में हेरफेर की गई है और इनसे तकरीबन 50 करोड़ रुपये वसूले गए हैं। इस धन का एक बड़ा हिस्सा इन दलालों के पास है, जो अब मौज कर रहे हैं। पुलिस ने स्वीकार किया है कि 800 लोगों का परिणाम बदलने के लिए इन अभ्यर्थियों से डेढ़ से तीन लाख रुपये तक वसूले गए हैं। इनके परिणाम में संशोधन किए जाने से स्पष्ट है कि अभ्यर्थियों से पैसा ले लिया गया है। पुलिस भले ही यह संख्या 800 बता रही हो, लेकिन शिक्षा विभाग के ही अधिकारी और शिक्षक नेता परिणाम संशोधित होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या दो हजार से अधिक बता रहे हैं। इनसे 45 से 50 करोड़ रुपये वसूले गए हैं। इन हजारों अभ्यर्थियों और शिक्षा विभाग के लोगों के बीच कड़ी बनने वाले दलालों की संख्या भी तीन सौ से अधिक है। ये दलाल बहुत प्रोफेशनल हैं। पूरे प्रदेश में फैला इनका जाल इतना सघन है कि पुलिस के लिए भेदना आसान नहीं हो पा रहा है। इस मामले में छिटपुट गिरफ्तारियों का कोई असर दलालों पर दिखाई नहीं दिया लेकिन शिक्षा निदेशक की गिरफ्तारी के बाद से इनमें भी हलचल शुरू हो गई है। कई दलालों ने अपने सिमकार्ड बदल दिए हैं और लगातार अपनी लोकेशन भी बदल रहे हैं। राजधानी में ही 12 से अधिक लोग हैं, जिनकी इस मामले में संलिप्तता शिक्षा विभाग के लोगों से छिपी नहीं है। अब ये सभी नदारद हैं। अभी तक शिक्षा निदेशक के पास से पांच लाख रुपये बरामद हुए, 87 लाख रुपये अकबरपुर, कानपुर की पुलिस ने पकड़े और पांच लाख रुपये की जमीन खरीदने का हिसाब ही पुलिस लगा सकी है। यह राशि मात्र एक करोड़ है तो बाकी का पैसा आखिर कहां है? कई और अधिकारी निशाने पर राज्य अध्यापक पात्रता परीक्षा में पैसे लेकर अभ्यर्थियों को पास कराने के मामले में तत्कालीन निदेशक संजय मोहन की गिरफ्तारी के बाद विभाग के कई अन्य अफसरों की भूमिका की भी जांच-पड़ताल की जा रही है। उनसे कभी भी पूछताछ की जा सकती है। टीईटी मामले में संजय मोहन की गिरफ्तारी के बाद शिक्षा विभाग के अफसरों को सांप सूंघ गया है। अधिकारी इस मसले पर बात करने से बच रहे हैं। सूत्रों के अनुसार अभियुक्तों से पूछताछ में एसटीएफ को कई और अफसरों के बारे में जानकारी मिली है। अब वह ऐसे अधिकारियों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। पूरे प्रकरण का पर्दाफाश होने के बाद यह तथ्य भी अहम हो गया है कि किस दबाव में यूपी बोर्ड ने परीक्षा कराने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली। सीपी तिवारी नये शिक्षा निदेशक राज्य सरकार ने आइएएस अधिकारी सीपी तिवारी को माध्यमिक शिक्षा विभाग का नया निदेशक बना दिया है। इससे पहले बुधवार को संजय मोहन को निलंबित किए जाने के बाद इस पद की जिम्मेदारी बेसिक शिक्षा निदेशक दिनेश कनौजिया को सौंपी गई थी। लेकिन एक दिन बाद ही दिनेश कनौजिया से चार्ज लेकर तिवारी को नियुक्त कर दिया गया। टूटते नजर आ रहे सपने : राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा के जरिए शिक्षक बनने का सपना देख रहे लाखों अभ्यर्थियों की उम्मीदों को कड़ा झटका लगा है। भर्ती भले ही तकरीबन 72 हजार पदों पर थी लेकिन उम्मीद सभी लगाए थे। गुरुवार को जुबिली इंटर कॉलेज पहुंचे अभ्यर्थी राजेश ने बताया कि धांधली उजागर हुई है तो दोषियों को सजा जरूर मिलनी चाहिए। निदेशक ही नहीं इसमें कई बड़े लोग भी है। पुलिस को उनकी गर्दन भी दबोचनी चाहिए। विवेक ने बताया कि बड़ी मेहनत से परीक्षा पास की है। अब चिंता है कि कहीं परीक्षा रद न कर दी जाए।