Thursday, November 24, 2011

जौहर विश्वविद्यालय पर सरकार का सियासी जवाब अधूरा


सत्ता में आने के बाद बसपा ने जिस जोश से राजधानी में अरबी-फारसी विश्वविद्यालय की स्थापना करने की घोषणा की थी, वह पिछड़ती दिखाई दे रही है। बसपा सरकार ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को जवाब देने का जो मंसूबा पाला था, वह पूरा होता नहीं दिख रहा। तीसरी बार प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के बाद मुख्यमंत्री मायावती ने 13 अक्टूबर 2008 को राजधानी में अरबी-फारसी विश्वविद्यालय की स्थापना का एलान किया था। उनकी यह घोषणा दरअसल सपा को बसपा सरकार का सियासी जवाब था। मुख्यमंत्री की घोषणा को पर शुरुआत में तेजी से काम हुआ। शासन की मंशा थी कि विगत 15 जनवरी को मुख्यमंत्री मायावती के जन्मदिन पर उनके हाथों उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय का लोकार्पण कराया जाए और जुलाई 2011 से यहां पढ़ाई भी शुरू हो जाए पर न तो अब तक लोकार्पण हो सका है और न ही पढ़ाई शुरू हो पाई। विश्वविद्यालय प्रशासन ने 13 विषयों में 199 शिक्षकों के पद सृजन का प्रस्ताव शासन को भेजा था। शासन ने इसे ज्यादा बताते हुए कम विषयों में पढ़ाई शुरू कराने के लिए कहा। इस पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने 74 शिक्षकों के पद सृजन का प्रस्ताव शासन को भेजा, पर अब तक कोई निर्णय नहीं हो सका है। विवि के पहले चरण के निर्माण को अब तक 188 करोड़ आवंटित हो चुके हैं जिसमें 171 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं। पढ़ाई शुरू कराने के लिए अब अगले सत्र का इंतजार करना होगा।

Wednesday, November 9, 2011

कॉरपोरेट शैली में काम करेगा शिक्षा विभाग


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिल्म (वेल्डन अब्बा) दिखाकर नौकरशाहों को जन समस्याओं के प्रति संवेदनशील बनाने की कोशिश कर रहे हैं, तो मानव संसाधन विभाग ने कार्यप्रणाली दुरुस्त करने और योजनाओं के प्रभावी अनुपालन के लिए कॉरपोरेट अंदाज में काम करने का फैसला किया है। नई व्यवस्था के तहत, शिक्षा विभाग में सचिव से लेकर क्षेत्रीय स्तर तक के अफसर की न सिर्फ जिम्मेदारी तय होगी बल्कि कॉरपोरेट अंदाज में उसका हर तिमाही मूल्यांकन भी होगा। हर काम के अंक तय हैं, सेल्फ अप्रेजल व विभागीय समीक्षा के आधार पर उनकी ग्रेडिंग (ए, बी,सी व डी) होगी। काहिल अफसरों की छुट्टी की भी व्यवस्था है। मानव संसाधन विभाग के नए फार्मूले के तहत, जिलों में शैक्षणिक स्तर व वातावरण में सुधार के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को लीडर की भूमिका अदा करते हुए मातहतों से अपेक्षित काम लेना और कार्यक्रमों को अमलीजामा पहनाना है। हर काम के लिए अंक तय हैं। कार्यक्रम संचालन में योगदान पर 10 अंक मिलेंगे, जबकि एससी-एसटी, अल्पसंख्यक व अन्य वर्ग की बालिकाओं की शिक्षा में योगदान देने पर 4, आम लोगों एवं शिक्षकों की अफसरों के प्रति धारणा 2, अधीनस्थ कर्मियों और शिक्षकों के प्रति व्यवहार के लिए 2, उच्चाधिकारियों को भेजे जाने वाले प्रतिवेदन की स्थिति पर 2, विभागीय निर्देशों के अनुपालन की स्थिति के लिए 2, विभागीय नियम-अधिनियम की जानकारी रखने पर 5 तथा अन्य विशेष उल्लेखनीय कार्य करने पर 3 अंक मिलेंगे। इन्हीं अंकों के आधार ग्रेडिंग तय होगी। जो अधिकारी काम नहीं करते उन्हें विदा किए जाने की भी व्यवस्था है। विभागीय मुख्यालय में प्रधान सचिव, क्षेत्र में क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक, जिला में जिला शिक्षा अधिकारी के स्तर पर मासिक समीक्षा की जायेगी। माध्यमिक, उच्च माध्यमिक तथा प्रखंड स्तर पर प्राथमिक व मध्य विद्यालयों के प्रधानाचार्यो के साथ भी मासिक अथवा त्रैमासिक बैठक का प्रावधान किया गया है। विभिन्न स्तरों पर होने वाली समीक्षा बैठक का अनुश्रवण मुख्यालय स्थित सीएमडी सेंटर करेगा। प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि विभाग ने बढ़ते कार्यो और कार्यक्रमों की भरमार के मद्देनजर चार माह पूर्व शैक्षणिक प्रशासन की संरचना का पुनर्गठन किया था। नये सिरे से पद निर्धारित कर मुख्यालय से क्षेत्रीय कार्यालयों तक में अफसरों की तैनाती हुई थी। कार्यक्रमों का प्रभावी कार्यान्वयन हो, इसी लिए प्रगति की विभिन्न स्तरों पर समीक्षा व अनुश्रवण की व्यवस्था हो रही है। साथ ही परफार्मेस इंडिकेटर्स के आधार पर क्षेत्रीय अफसरों की ग्रेडिंग भी होगी।

पीपीपी मॉडल स्कूलों में तैनात होंगे इमोशन गुरु


सरकारी व निजी क्षेत्र की भागीदारी वाले पीपीपी मॉडल के स्कूलों में बच्चों के विकास से जुड़ी शैक्षिक, भावनात्मक व व्यावहारिक समस्याओं को सुलझाने के लिए इमोशन गुरु तैनात करने की तैयारी है। कंप्यूटर, इंटरनेट व दूसरी तमाम सुविधाओं से लैस ये स्कूल वाकई सबसे अलग होंगे। स्वास्थ्य शिक्षा के साथ ही छात्रों की सेहत की नियमित जांच-पड़ताल की व्यवस्था भी इन विद्यालयों में होगी। सूत्रों के मुताबिक ढाई हजार गैर पिछड़े ब्लाकों में खुलने वाले पीपीपी मॉडल के इन स्कूलों का मसौदा तैयार है। उसे बस केंद्रीय कैबिनेट की हरी झंडी मिलने की देर है। उम्मीद है यह भी हफ्ते भर में हो जाएगा। बताते हैं कि कक्षा छह से 12 तक के इन स्कूलों में विज्ञान, गणित और अंग्रेजी की पढ़ाई पर खास जोर होगा। ज्यादा बेहतरीन पढ़ाई के मद्देनजर शिक्षक-छात्र अनुपात 1:25 का रखा गया है। यानि प्रत्येक कक्षा में एक शिक्षक पर सिर्फ 25 छात्रों को पढ़ाने का जिम्मा होगा। जबकि किसी भी कीमत पर एक शिक्षक पर 40 छात्रों से अधिक को पढ़ाने का दायित्व नहीं होगा। राष्ट्रीय आदर्श विद्यालय के नाम से खुलने वाले इन स्कूलों में दाखिले के लिए एक टेस्ट होगा। एक स्कूल में 2500 से अधिक छात्र नहीं होंगे। सरकार व निजी क्षेत्र के बीच कोटे की सीटों का बंटवारा 50:50 का होगा। हालांकि निजी क्षेत्र के आर्थिक पहलू के मद्देनजर उन्हें 60 प्रतिशत तक सीटें दी जा सकती हैं। उस स्थिति में 40 प्रतिशत सीटें सरकारी कोटे में होंगी। सरकारी कोटे की सीटों में अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग का आरक्षण लागू होगा। जबकि लिए 30 प्रतिशत सीटें लड़कियों के होंगी। कक्षा छह से आठ तक बच्चों से कोई फीस नहीं ली जाएगी। कक्षा नौ से 12 के तक सरकारी कोटे से दाखिल अनुसूचित जाति, जनजाति, लड़कियों व गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों के छात्रों से 25 रुपये और बाकी चयनित छात्रों से 50 रुपये फीस लिया जाना प्रस्तावित है। जबकि, निजी क्षेत्र को अपने प्रबंधन कोटे के छात्रों से समुचित फीस वसूलने की छूट होगी। ब्लाक मुख्यालयों पर खुलने वाले पीपीपी मॉडल इन स्कूलों के लिए सरकार व निजी क्षेत्र के बीच पहला करार दस साल का होगा। जो बाद में बढ़ाया जा सकेगा। अलबत्ता, स्कूल संचालन में आने वाले खर्चे में सरकार हाथ बंटाएगी। उसी क्रम में वह सरकारी कोटे के छात्रों पर आने वाले खर्च (केंद्रीय विद्यालय के छात्र पर आने वाले खर्च के आधार पर) का छह महीने का एडवांस भुगतान कर देगी। अपने कोटे के छात्रों पर हर महीने आने वाले कुल खर्च के 25 प्रतिशत का भुगतान भी संसाधनों के मद में सरकार अलग से करेगी। बुनियादी सुविधाओं की पूरी जिम्मेदारी निजी क्षेत्र की होगी। जमीन का इंतजाम भी निजी क्षेत्र को ही करना होगा।

Monday, November 7, 2011

बिहार में वेटनरी यूनिवर्सिटी को मिली हरी झंडी

 पटना कृषि कैबिनेट ने रविवार को प्रदेश में वेटनरी यूनिवर्सिटी खोलने, तीन वर्ष में जमीन का सर्वे व बंदोबस्ती तथा पांच साल में चकबंदी का काम पूरा करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी। ्रप्रस्ताव के अनुसार अत्याधुनिक तरीके से जमीन का नक्शा तैयार करने के लिए हवाई जहाज (एरियल सर्वे) का सहारा लिया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में 5.11 लाख हेक्टेयर से जल-निकासी कर भूमि को कृषि योग्य बनाने के प्रस्ताव पर भी सहमति प्रदान कर दी। बैठक के बाद कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक कुमार सिन्हा ने संवाददाताओं को बताया कि 14 समितियों के प्रतिवेदन के आधार बैठक में प्रस्तुतिकरण किया गया। इसके आधार पर ही कई बिंदुओं पर सहमति जताई गई। इससे पूर्व कृषि कैबिनेट की 26 अप्रैल व दूसरी बैठक 12 अगस्त को हुई थी, जिसमें कुछ विभागों के प्रतिवेदन पर सहमति जताई गई थी। कृषि कैबिनेट की एक और बैठक होगी। सिन्हा के अनुसार कृषि विभाग की मांग के आधार जल संसाधन विभाग ने गर्मा फसल मौसम में 44.90 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुनिश्चित करने का प्रतिवेदन दिया। इस पर कृषि कैबिनेट ने अपनी सहमति प्रदान की है। 5.11 लाख हेक्टेयर से जलनिकासी कर कृषि योग्य बनाया जाएगा। 70 मीटर गहराई के 12.14 लाख नलकूप लगाए जाएंगे। दक्षिण बिहार में 25400 अधिक गहराई के नए नलकूप लगेंगे। दस वषरें में 5 हजार आहर, पइन का जीर्णोद्धार होगा। कृषि क्षेत्र को पृथक फीडर से बिजली मिलेगी। पारम्परिक ऊर्जा स्रोत से 90 प्रतिशत व अपारम्परिक स्रोत से 10 प्रतिशत बिजली की व्यवस्था होगी। डीजल चालित निजी नलकूपों को बिजली से चलाया जाएगा। इससे सिंचाई लागत में कमी आएगी। चावल की भूसी से 100 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। बैठक में ऐसा महसूस किया गया कि जमीन का रिकार्ड अद्यतन नहीं होने के कारण कृषि संबंधित योजनाओं का लाभ प्राप्त करने में कठिनाई होती है। इसके लिए तीन वषरें में राज्य के सभी जिलों की भूमि का सर्वे व बंदोबस्ती कार्य को पूरा किया जाएगा। इसमें आधुनिक तरीके को अपनाया जाएगा। हवाई जहाज से नक्शा तैयार होगा। इस कार्य में वषरें समय लगता है। इसी प्रकार पांच वषरें में चकबंदी कार्य को पूरा किया जाएगा। इससे पैदावार में वृद्धि होगी। किसानों द्वारा नलकूप व कृषि यंत्रों का उपयोग हो सकेगा। दस वर्ष में ट्री कवरेज 15 प्रतिशत होगा। तटबंधों के किनारे 10 हजार किलोमीटर में बांस लगाए जाएंगे। इससे नदियों से हो रहे कटाव को रोका जा सकेगा। सम्प्रति ग्रीन कवरेज 7 प्रतिशत है। पीपीपी मोड (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) पर तीन मेगा फूड पार्क स्थापित होंगे। सरकार 20 प्रतिशत अनुदान देगी। इससे फल, सब्जियों की बर्बादी को रोका जा सकेगा। चीनी में रिकवरी उन्नत प्रभेद के गन्ना व मिलों के आधुनिकीकरण से बढ़ाकर 13 प्रतिशत किया जायेगा जो 9 प्रतिशत है। कृषि कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री के अलावा उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह, राजस्व व भूमि सुधार मंत्री रमई राम, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, ग्रामीण विकास मंत्री डा.भीम सिंह, पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह, ग्रामीण कार्य मंत्री नीतीश मिश्र व सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह के अलावा मुख्य सचिव नवीन कुमार, कृषि उत्पादन आयुक्त एके सिन्हा, मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार डा. मंगला राय आदि उपस्थित थे।