Wednesday, November 9, 2011

कॉरपोरेट शैली में काम करेगा शिक्षा विभाग


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिल्म (वेल्डन अब्बा) दिखाकर नौकरशाहों को जन समस्याओं के प्रति संवेदनशील बनाने की कोशिश कर रहे हैं, तो मानव संसाधन विभाग ने कार्यप्रणाली दुरुस्त करने और योजनाओं के प्रभावी अनुपालन के लिए कॉरपोरेट अंदाज में काम करने का फैसला किया है। नई व्यवस्था के तहत, शिक्षा विभाग में सचिव से लेकर क्षेत्रीय स्तर तक के अफसर की न सिर्फ जिम्मेदारी तय होगी बल्कि कॉरपोरेट अंदाज में उसका हर तिमाही मूल्यांकन भी होगा। हर काम के अंक तय हैं, सेल्फ अप्रेजल व विभागीय समीक्षा के आधार पर उनकी ग्रेडिंग (ए, बी,सी व डी) होगी। काहिल अफसरों की छुट्टी की भी व्यवस्था है। मानव संसाधन विभाग के नए फार्मूले के तहत, जिलों में शैक्षणिक स्तर व वातावरण में सुधार के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को लीडर की भूमिका अदा करते हुए मातहतों से अपेक्षित काम लेना और कार्यक्रमों को अमलीजामा पहनाना है। हर काम के लिए अंक तय हैं। कार्यक्रम संचालन में योगदान पर 10 अंक मिलेंगे, जबकि एससी-एसटी, अल्पसंख्यक व अन्य वर्ग की बालिकाओं की शिक्षा में योगदान देने पर 4, आम लोगों एवं शिक्षकों की अफसरों के प्रति धारणा 2, अधीनस्थ कर्मियों और शिक्षकों के प्रति व्यवहार के लिए 2, उच्चाधिकारियों को भेजे जाने वाले प्रतिवेदन की स्थिति पर 2, विभागीय निर्देशों के अनुपालन की स्थिति के लिए 2, विभागीय नियम-अधिनियम की जानकारी रखने पर 5 तथा अन्य विशेष उल्लेखनीय कार्य करने पर 3 अंक मिलेंगे। इन्हीं अंकों के आधार ग्रेडिंग तय होगी। जो अधिकारी काम नहीं करते उन्हें विदा किए जाने की भी व्यवस्था है। विभागीय मुख्यालय में प्रधान सचिव, क्षेत्र में क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक, जिला में जिला शिक्षा अधिकारी के स्तर पर मासिक समीक्षा की जायेगी। माध्यमिक, उच्च माध्यमिक तथा प्रखंड स्तर पर प्राथमिक व मध्य विद्यालयों के प्रधानाचार्यो के साथ भी मासिक अथवा त्रैमासिक बैठक का प्रावधान किया गया है। विभिन्न स्तरों पर होने वाली समीक्षा बैठक का अनुश्रवण मुख्यालय स्थित सीएमडी सेंटर करेगा। प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि विभाग ने बढ़ते कार्यो और कार्यक्रमों की भरमार के मद्देनजर चार माह पूर्व शैक्षणिक प्रशासन की संरचना का पुनर्गठन किया था। नये सिरे से पद निर्धारित कर मुख्यालय से क्षेत्रीय कार्यालयों तक में अफसरों की तैनाती हुई थी। कार्यक्रमों का प्रभावी कार्यान्वयन हो, इसी लिए प्रगति की विभिन्न स्तरों पर समीक्षा व अनुश्रवण की व्यवस्था हो रही है। साथ ही परफार्मेस इंडिकेटर्स के आधार पर क्षेत्रीय अफसरों की ग्रेडिंग भी होगी।

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