Saturday, January 8, 2011

सर्वशिक्षा का 50 फीसदी धन भी खर्च न हो पाया

उत्तराखंड में प्राथमिक शिक्षा की बदहाली दूर करने के सरकारी प्रयासों को स्थानीय प्रशासन ही पलीता लगा रहे हैं। हालात यह है कि सूबे की राजधानी देहरादून समेत ज्यादातर जिले सर्व शिक्षा अभियान के लिए केंद्र से मिले धन का आधा हिस्सा भी खर्च नहीं कर पाए, जबकि वित्तीय वर्ष खत्म होने में सिर्फ तीन माह शेष हैं। सर्व शिक्षा अभियान के तहत जिलों की ग्रेडिंग इसकी पुष्टि कर रही है। खराब प्रदर्शन में बागेश्वर अव्वल रहा है, जबकि हरिद्वार, पिथौरागढ़ और दून क्रमश: दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर हैं। राज्य सरकार सर्व शिक्षा अभियान के तहत पहली से आठवीं तक की शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित कर रही है, लेकिन जिलों को प्रदर्शन सुधारने से खास मतलब ही नहीं है। प्रारंभिक शिक्षा में संसाधनों की कमी दूर करने और नौनिहालों को बेहतर व स्तरीय शिक्षा दिलाने के लिए राज्य सरकार पिछले दस वर्षो से केंद्र के दर पर हाथ-पांव मार रही है। इस मुहिम का ही नतीजा है कि 2010-11 में एसएसए का वार्षिक बजट बढ़कर 430 करोड़ से ज्यादा है। इसके सापेक्ष कुल खर्च 213.88 करोड़ हो सका। जिले खर्च को लेकर सरकार की अपेक्षा पर खरे नहीं उतरे। अब तक कुल बजट की 49.63 फीसदी धनराशि ही खर्च हो सकी है। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की कवायद को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। बजट होने के बावजूद जिलों में प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूल बजट होने के बावजूद भवन व अन्य निर्माण कार्य समेत तमाम जरूरी सुविधाओं से महरूम हैं। कुछ जिलों में हालत ज्यादा लचर है। सबसे खराब प्रदर्शन वाले जिले बागेश्वर को 41.22 फीसदी धन खर्च करने पर 13वीं ग्रेडिंग मिली। 44.40 फीसदी धन खर्च कर पाए हरिद्वार को 12वीं, पिथौरागढ़ को 45.62 फीसदी खर्च पर 11वीं, दून को 46.12 फीसदी खर्च पर दसवीं ग्रेडिंग मिली। हालांकि कोई भी जिला 60 फीसदी राशि खर्च नहीं कर पाया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक खर्च में चमोली जिले का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा। इसमें उत्तरकाशी दूसरे स्थान उत्तरकाशी, पौड़ी तीसरे स्थान पर है। शासन ने एसएसए में जिलों की इस प्रगति पर असंतोष जताया है। शिक्षा सचिव मनीषा पंवार उक्त जिलों के विभागीय अफसरों को प्रदर्शन सुधारने की सख्त हिदायत दे चुकी हैं। अब उन्होंने विशेष तौर पर चार जिलों देहरादून, हरिद्वार, बागेश्र्वर और पिथौरागढ़ के जिलाधिकारियों और मुख्य विकास अधिकारियों को भी प्रदर्शन में सुधार के निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारियों और मुख्य विकास अधिकारियों को प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों पर होने वाले खर्च की नियमित मानीटरिंग और इस बाबत शासन को सूचित करने को कहा गया है। उल्लेखनीय है कि देश को निरक्षरता के शाप से मुक्ति दिलाने और प्राथमिक शिक्षा के स्तर और गुणवत्ता में सुधार के लिए केंद्र ने सभी राज्यों में सर्वशिक्षा अभियान नामक महत्वाकांक्षी योजना शुरू कर रखी है। केंद्र सरकार योजना संचालन के लिए राज्यों में आर्थिक मदद भी देती है।

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