Saturday, January 1, 2011

जब कंप्यूटर ही नहीं तो ब्राडबैंड से कैसे जुड़ें विवि

उच्च शिक्षा में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग को लेकर सरकार भले ही बहुत गंभीर हो, लेकिन विश्वविद्यालयों व कॉलेजों को इंटरनेट से जोड़ने में नई दिक्कतें भी आ रही हैं। विश्वविद्यालयों, खासतौर से कॉलेजों में पर्याप्त संख्या में कंप्यूटर ही नहीं हैं। तमाम संस्थान ब्राडबैंड कनेक्शन में खर्च का एक चौथाई बोझ भी उठाने में हाथ खड़ा करने लगे हैं। जबकि गैर-शहरी क्षेत्रों में सबसे बड़ी समस्या कंप्यूटर व इंटरनेट से दोस्ताना माहौल न होने की है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पहल पर सूचना संचार तकनीक शिक्षा मिशन के तहत देश के लगभग 500 विश्वविद्यालयों व 20 हजार कॉलेजों को इंटरनेट से जोड़ने में जुटे भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) का तजुर्बा तो कुछ इसी तरह का है। सूत्रों के मुताबिक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने जिन कॉलेजों को ब्राडबैंड से जोड़ने की सूची बीएसएनएल को दी है, उनमें भी हजारों ऐसे हैं जहां अभी कंप्यूटर ही नहीं हैं। आलम यह है कि कई विश्वविद्यालय भी अभी बमुश्किल एक-दो कंप्यूटर के भरोसे चल रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि इस सबसे अलग सबसे बड़ी समस्या तो कंप्यूटर व इंटरनेट संस्कृति और उसके उपयोग के दोस्ताना माहौल की है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो सूचना संचार तकनीक (आइसीटी) के तेजी से इस्तेमाल के इस दौर में भी कई विश्वविद्यालयों के कुलपति तक इंटरनेट संस्कृति से दूर हैं। उनके कार्यालयों में लगे कंप्यूटर का संचालन उनके निजी स्टाफ तक सीमित है। जबकि मिशन का मकसद छात्रों व शिक्षकों को कंप्यूटर व इंटरनेट के ज्यादा से ज्यादा उपभोग के जरिए उन्हें ई-कंटेंट (इंटरनेट पर पाठ्य सामग्री) उपलब्ध कराने पर है। बताते हैं कि कई विश्वविद्यालय व कालेज ब्राडबैंड के लिए खर्च में अपने हिस्से का धन देने में भी हाथ खड़ा कर रहे हैं। मालूम हो कि मिशन के तहत ब्राडबैंड कनेक्शन पर होने वाले खर्च का एक चौथाई बोझ ही संबंधित उच्च संस्थानों को उठाना है। वह भी उन्हें दस साल में किश्तों में भुगतान की छूट है। बाकी का भुगतान केंद्र करेगा। मोटे तौर पर एक कनेक्शन पर 45 लाख रुपये का खर्च आ रहा है। सूत्र बताते हैं कि इन स्थितियों के मद्देनजर ही बीएसएनएल ने बाद में भुगतान की अंडरटेकिंग लेकर उन कॉलेजों को भी कनेक्शन की हामी भर दी है, जो अभी भुगतान की स्थिति में नहीं हैं। हालांकि इस सबके बीच भी बीएसएनल ने अब तक 183 विश्वविद्यालयों व दस हजार कालेजों को ब्राडबैंड कनेक्शन से जोड़ चुका है। विश्वविद्यालयों को एक जीबीपीएस (गीगाबाइट पर सेकंड) और कॉलेजों को 512 केबीपीएस (किलोबाइट पर सेकंड) का कनेक्शन दिया जा रहा है। मालूम हो कि शोध व विज्ञान के अलावा अन्य दूसरे उच्च शैक्षणिक लगभग एक हजार संस्थानों को ब्राड बैंड से जोड़ने का जिम्मा राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क पर है।

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