Friday, January 7, 2011

नए शोध खोल रहे ज्ञान के नए क्षितिज

ज्ञान के नए क्षितिज तलाशने की मुहिम भारत में परवान चढ़ने लगी है। सरकारें जब शिक्षा के बुनियादी सुधारों में उलझी थीं, तब देश के विश्र्वविद्यालयों ने उन उपलब्धियों की तरफ देखना शुरू किया, जिनके लिए वह बने हैं। वैज्ञानिक शोधों में भारत की प्रगति उम्मीद का चमकदार कोना है। वैज्ञानिक शोध को नापने वाले एच इंडेक्स में नई ऊंचाइयां छूने की विश्र्वविद्यालयों की होड़ सुखद अचरज पैदा करती है। थामसन रायटर्स की ग्लोबल रिसर्च के मुताबिक ज्ञान के नए क्षेत्रों में पिछले पांच वर्षो में भारत के सवा लाख से अधिक शोध पत्र (रिसर्च पेपर) दुनिया के विभिन्न जर्नल्स में प्रकाशित हुए हैं। बगैर किसी तामझाम और प्रचार-प्रसार के भारत में शोधकार्य नई करवट लेने लगा है और दुनिया इसे रेखांकित कर रही है। हाल के वर्षो में भारत ने रसायन, कृषि विज्ञान, मैटीरियल साइंस, फार्माकोलॉजी एंड टॉक्सिकोलॉजी, प्लांट एंड एनीमल साइंस, भौतिक विज्ञान, इंजीनियरिंग, जिओ साइंस, स्पेस साइंस और माइक्रोबायलॉजी क्षेत्र में अनुसंधान के मामले में भारत ने मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। रायटर्स की ग्लोबल रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार 1999 से 2008 के बीच के वर्षो में भी इन विषयों पर शोध में कई मामलों में तो दोगुने तक की वृद्धि हुई है। जिसके चलते दुनिया में भारत का दर्जा सुधरा है। बेहतर शोध को लेकर विश्र्वविद्यालयों के बीच होड़ सी मची है। राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं विकास अध्ययन संस्थान का एच इंडेक्स बताता है कि देश के 50 चोटी के विश्र्वविद्यालयों में आठ चेन्नई के हैं। हैदराबाद यूनिवर्सिटी, दिल्ली विश्र्वविद्यालय को पछाड़ दूसरे से पहले स्थान पर आ गई है। बनारस हिंदू विश्र्वविद्यालय छठे स्थान से बढ़कर तीसरे स्थान पर पहुंच रहा है। जाधवपुर यूनिवर्सिटी पांचवें से चौथे और पंजाब यूनिवर्सिटी तीसरे से चौथे स्थान पर आ चुकी है। एच इंडेक्स ही वह मानक है जो शोध पत्रों के प्रकाशन के आधार पर शोधार्थियों व संस्थानों का आकलन करता है। कृषि इंजीनियरिंग, ट्रॉपिकल मेडिसिन, ऑर्गेनिक केमिस्ट्री, दुग्ध एवं पशु विज्ञान, बहुधंधी कृषि, टेक्सटाइल, मेडिसिनल केमिस्ट्री और कृषि विज्ञान ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें तेजी से अनुसंधान की गतिविधियां शुरू हुई हैं। इसका नतीजा है कि अमेरिका, जापान, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, ताइवान, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड्स जैसे देश भारत के साथ कई क्षेत्रों में साझा शोध करने में लगे हैं।

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