एनसीईआरटी इस उद्देश्य के लिए फिल्म एवं टीवी अभिनेत्री सुषमा सेठ, कठपुतली विशेषज्ञ दादी पदमजी समेत पूर्वोत्तर राज्यों एवं अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के कलाकारों का सहयोग ले रही है। सुधीर ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए 20 से 25 मिनट की आठ लघु फिल्म तैयार की गई हैं। उन्होंने कहा, इसमें चित्रकला, थियेटर, कठपुतली, मुखौटा निर्माण, संगीत, नृत्य, वाद्य यंत्रों का उपयोग आदि शामिल है। सुधीर ने कहा कि कला एवं सौन्दर्यबोध पर पाठ्यक्र म तैयार करते हुए संपूर्ण देश की परिस्थितियों एवं भौगोलिक दशाओं का ध्यान रखा गया है। इस विषय में विभिन्न राज्यों से उनकी राय और सलाह को शामिल किया गया है। जाने माने शिक्षाविद प्रो. यशपाल के नेतृत्व में तैयार राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 में कला एवं सौन्दर्यबोध को स्कूलों में एक विषय के रूप में स्थान दिये जाने की सिफारिश की गई थी।
Sunday, January 16, 2011
अब बच्चे क्लास रूम में सीखेंगे सौंदर्यबोध
राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने देश के सभी स्कूलों के लिए कला व सौंदर्यबोध विषय पर एक विशेष पैकेज तैयार किया है। अगले साल तक इस विषय में 500 शिक्षक प्रशिक्षकों का समूह तैयार किया जाएगा। इस अभियान में अभिनेता आमिर खान की फिल्म ‘तारे जमीं पर’ के अंशों को भी शामिल किया जा सकता है। एनसीईआरटी में कला एवं सौंदर्यबोध संकाय के प्रमुख डा. पवन सुधीर ने कहा- परिषद ने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 पर अमल करते हुए पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर कला एवं सौंदर्यबोध का एक अलग संकाय गठित किया है। इसका उद्देश्य खेल-खेल में बच्चों की रचनात्मक क्षमता का उपयोग करते हुए शिक्षा के चलन को बढ़ावा देना है। यह शिक्षा का अधिकार कानून का महत्वपूर्ण पहलू भी है। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए एनसीईआरटी ने प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों के लिए विशेष पैकेज तैयार किया है। इसके माध्यम से अगले तीन से पांच वर्षों में इस विषय से जुड़े देश के सभी शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। सुधीर ने कहा, ‘इस उद्देश्य के लिए प्रथम चरण में अगले वर्ष 500 शिक्षक प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, ताकि देश के प्रत्येक राज्य के लिए 15 से 20 प्रशिक्षक तैयार किए जा सके।’
एनसीईआरटी इस उद्देश्य के लिए फिल्म एवं टीवी अभिनेत्री सुषमा सेठ, कठपुतली विशेषज्ञ दादी पदमजी समेत पूर्वोत्तर राज्यों एवं अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के कलाकारों का सहयोग ले रही है। सुधीर ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए 20 से 25 मिनट की आठ लघु फिल्म तैयार की गई हैं। उन्होंने कहा, इसमें चित्रकला, थियेटर, कठपुतली, मुखौटा निर्माण, संगीत, नृत्य, वाद्य यंत्रों का उपयोग आदि शामिल है। सुधीर ने कहा कि कला एवं सौन्दर्यबोध पर पाठ्यक्र म तैयार करते हुए संपूर्ण देश की परिस्थितियों एवं भौगोलिक दशाओं का ध्यान रखा गया है। इस विषय में विभिन्न राज्यों से उनकी राय और सलाह को शामिल किया गया है। जाने माने शिक्षाविद प्रो. यशपाल के नेतृत्व में तैयार राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 में कला एवं सौन्दर्यबोध को स्कूलों में एक विषय के रूप में स्थान दिये जाने की सिफारिश की गई थी।
एनसीईआरटी इस उद्देश्य के लिए फिल्म एवं टीवी अभिनेत्री सुषमा सेठ, कठपुतली विशेषज्ञ दादी पदमजी समेत पूर्वोत्तर राज्यों एवं अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के कलाकारों का सहयोग ले रही है। सुधीर ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए 20 से 25 मिनट की आठ लघु फिल्म तैयार की गई हैं। उन्होंने कहा, इसमें चित्रकला, थियेटर, कठपुतली, मुखौटा निर्माण, संगीत, नृत्य, वाद्य यंत्रों का उपयोग आदि शामिल है। सुधीर ने कहा कि कला एवं सौन्दर्यबोध पर पाठ्यक्र म तैयार करते हुए संपूर्ण देश की परिस्थितियों एवं भौगोलिक दशाओं का ध्यान रखा गया है। इस विषय में विभिन्न राज्यों से उनकी राय और सलाह को शामिल किया गया है। जाने माने शिक्षाविद प्रो. यशपाल के नेतृत्व में तैयार राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 में कला एवं सौन्दर्यबोध को स्कूलों में एक विषय के रूप में स्थान दिये जाने की सिफारिश की गई थी।
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