Sunday, January 16, 2011

नियमित शिक्षक बन सकेंगे यूपी के स्नातक शिक्षामित्र

उत्तर प्रदेश के 1 लाख 24 हजार स्नातक शिक्षामित्रों को शिक्षा अधिकार कानून के तहत उन्हें नियमित शिक्षक बनाने का रास्ता साफ होता दिख रहा है। स्नातक शिक्षामित्रों को ब्लॉक संसाधन केंद्रों (बीआरसी) के माध्यम से ट्रेनिंग दिलाने संबंधी प्रस्ताव को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने सशर्त मंजूरी दे दी है। एनसीटीई के सदस्य सचिव विक्रम सहाय ने इस संबंध में बेसिक शिक्षा विभाग के सचिव अनिल संत को पत्र भेज दिया है। पत्र में एनसीटीई ने सरकार से यह भी कहा है कि वह भविष्य में किसी भी रूप में अप्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति न करे। शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत कक्षा एक से आठ तक में बच्चों को पढ़ाने के लिए सिर्फ प्रशिक्षित शिक्षक ही रखे जाने हैं। प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 1.78 लाख शिक्षामित्र तैनात हैं जिनमें से 1.24 लाख स्नातक हैं। परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने और स्नातक शिक्षामित्रों को ट्रेनिंग दिलाकर उन्हें नियमित शिक्षक बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने तीन जनवरी को एनसीटीई को नया प्रस्ताव भेजा था। प्रस्ताव में स्नातक शिक्षामित्रों को प्रदेश के सभी 70 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) और 820 बीआरसी के माध्यम से दूरस्थ शिक्षा के जरिये डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन की दो वर्षीय ट्रेनिंग दिलाने की पेशकश की गई थी। शिक्षामित्रों को यह ट्रेनिंग 50-50 के बैच में कराने की मंशा जतायी गई थी। प्रस्ताव के तहत शिक्षामित्रों को प्रत्येक वर्ष डायट व बीआरसी में 40 दिनों का सैद्धांतिक प्रशिक्षण और स्कूलों में प्रयोगात्मक प्रशिक्षण दिलाने की बात कही गई थी। एनसीटीई ने प्रस्ताव को मंजूरी देने के साथ ही सरकार से कहा है कि चार सितंबर 2001 से पहले तैनात किये गए शिक्षामित्रों को प्रस्तावित ट्रेनिंग में प्राथमिकता देने की जरूरत नहीं है। ट्रेनिंग प्रोग्राम राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) संचालित करेगा। एससीईआरटी ही नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीएफटीई) 2010 के तहत दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के जरिये डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन की स्व-शिक्षण पाठ्यसामग्री तैयार करेगा। एससीईआरटी ही ट्रेनिंग कार्यक्रम की निगरानी, पर्यवेक्षण, मूल्यांकन करेगा, परीक्षाएं आयोजित करेगा और सफल प्रशिक्षणार्थियों को सर्टिफिकेट भी देगा। ट्रेनिंग शुरू होने से पहले एससीईआरटी में इन कार्यों के लिए योग्य शिक्षक तैनात कर दिये जाएंगे। ट्रेनिंग प्रोग्राम तभी शुरू हो सकेगा जबकि राज्य की ओर से प्रशिक्षण की स्व-शिक्षण पाठ्यसामग्री एनसीटीई को उपलब्ध करा दी जाएगी। एनसीटीई ने ट्रेनिंग के लिए 300 घंटे (कानटैक्ट आवर्स) का शेड्यूल भी निर्धारित किया है जिसमें से 144 घंटे एकेडमिक काउंसिलिंग, 24 दिन कार्यशाला, 15 घंटे स्कूल आधारित गतिविधियों और 80 घंटे टीचिंग प्रैक्टिस के लिए तय किये हैं। राज्य सरकार को इस शेड्यूल पर आधारित विस्तृत कार्यक्रम (परीक्षा सहित) एनसीटीई को ट्रेनिंग से पहले मुहैया कराना होगा। प्रशिक्षणार्थियों द्वारा पूरे किये जाने वाले प्रोजेक्ट्स और एसाइनमेंट की रूपरेखा तय करने के लिए एक माह का समय दिया गया है। एनसीटीई ने ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए स्टडी सेंटर के तौर पर इस्तेमाल किये जाने वाले राज्य के सभी 820 बीआरसी की सूची मांगने के साथ ही उनमें मौजूद सुविधाओं का ब्यौरा एक माह में तलब किया है। बीआरसी में तैनात मानव संसाधन और उनकी शैक्षिक योग्यता का विस्तृत ब्योरा भी राज्य सरकार से मांगा गया है।

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