Tuesday, January 4, 2011

अब दोहों में भी पढ़े जा सकेंगे वैज्ञानिक सिद्धांत

पुणे में भौतिकी के एक प्रोफेसर बुनियादी वैज्ञानिक अवधारणाओं को मराठी दोहों का रूप दे रहे हैं और इस अनूठी परियोजना को वह महाराष्ट्र में विज्ञान का डिमिस्टिफिकेशन और पॉपुलराइजेशन कहते हैं। पुणे विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर पंडित विद्यासागर के अनुसार वैज्ञानिक तथ्यों को एक साधारण भाषा के रूप में बदलने की चुनौती है ताकि आम आदमी बिना बोझिल हुए आसानी से इन्हें समझ सके। वह विज्ञान में न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण या आइंस्टीन के सापेक्षता जैसे सिद्धांतों को ओवी स्वरूप देने का प्रयास कर रहे हैं। ओवी चार पंक्तियों में लिखे जाने वाले दोहे हैं जिनका इस्तेमाल प्राचीन मराठी संत ज्ञानेश्वर और तुकाराम आध्यात्मिक तथ्यों को आम आदमी की भाषा में तब्दील करने में करते थे। प्रदेश में पीपुल्स साइंस मूवमेंट की भी अगुवाई कर रहे विद्यासागर ने बताया कि पूरी कवायद वैज्ञानिक शब्दावली को मराठी में समांतर और यथोचित शब्दों के रूप में बदलने की है जिसे विशेषज्ञ भाषा-विज्ञानियों की मंजूरी मिल रही है। उन्होंने जोड़ा, हम स्कूली छात्रों और अध्यापकों से भी इस पर प्रतिक्रिया चाह रहे हैं। वैज्ञानिक अवधारणाओं के सरलीकरण के जरिए के रूप में ओवी को इस्तेमाल करने पर वह हमें राय दें। प्रोफेसर विद्यासागर ने कहा कि महाराष्ट्र में ओवी परियोजना के तहत 1000 दोहों की रचना पर काम किया जा रहा है जिनमें से 850 पूरे हो चुके हैं। इस नए तरीके के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि ओवी मुक्तछंद या धारा प्रवाह पद होते हैं जिन्हें लयबद्ध तरीके याद किया जाता है। इसे अन्य भाषाओं में अनुवाद किए जाने की भी उम्मीद है। इस साल मार्च में पूरा कार्य प्रकाशन के लिए तैयार होगा। इसमें विज्ञान की जटिलताओं और ऐतिहासिक खोजों के विस्तृत विवरण के साथ-साथ ब्रह्मांड की उत्पत्ति वाली बिग बैंग थ्योरी का भी वर्णन होगा।


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