Sunday, January 23, 2011

बिजनौर के 634 गांवों में पाठशाला ही नहीं


शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू कर हर बच्चे को शिक्षा से जोड़ने का सरकारी प्रयास बिजनौर में बेमानी नजर आ रहा है। सर्वशिक्षा अभियान के माध्यम से गांवों में शिक्षा की अलख जगाने का सरकारी वायदा किया जा रहा है, खजाने में धन भी पड़ा है लेकिन अभी भी जिले के 634 गांवों में स्कूल नहीं हैं। यहां के बच्चों को पढ़ाई के लिए कोसों दूर जाना पड़ता है। शिक्षा विभाग ने नए स्कूल खोलने के लिए सत्यापन कराया तो पता चला कि जिले जिले में 2390 गांव हैं। इनमें से मात्र 1756 गांवों में ही स्कूल हैं। बाकी गांवों के बच्चे तालीम हासिल करने के लिए कोसों दूर जाते हैं। शिक्षा का अधिकार के तहत हर गांव में स्कूल खोलने की सरकारी योजना परवान चढ़ती नहीं दिख रही। नए परिषदीय स्कूल खोलकर सभी बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की योजना पर काम करने का वायदा तो किया जा रहा है, लेकिन स्कूलों के निर्माण के लिए पिछले साल आए धन को अभी तक खर्च नहीं किया जा सका है। ऐसे में फिलहाल हर बच्चे की किस्मत संवारने को स्कूल मिलने की उम्मीद नजर नहीं आ रही। केंद्र और प्रदेश सरकार के बीच कई बार हर गांव में स्कूल खोलने के लिए मानक तय किए गये, लेकिन इसमें आने वाले खर्च को देखते हुए हर बार प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद उसमें बदलाव कर दिया गया। अब फिर से नया प्रस्ताव आया है। सबसे पहले प्रत्येक एक किमी पर बेसिक और डेढ़ किमी पर जूनियर हाईस्कूल खोलने की योजना बनाई गई। सरकार ने इसे नहीं स्वीकारा। इसके बाद आबादी के आधार पर स्कूलों को खोलने का प्रस्ताव बनाया। इसे भी केंद्र सरकार ने नहीं माना। अब प्रत्येक तीन किमी पर जूनियर हाईस्कूल खोलने का प्रस्ताव पास किया गया है। इसके तहत जिले के छह सौ से अधिक गांवों को चिन्हित किया गया है, जहां पर विद्यालय नहीं हैं। इस बारे में बात करने पर बीएसए योगराज सिंह ने बताया कि जिन गांवों में स्कूल नहीं हैं, उनमें मानकों के अनुरूप स्कूलों का निर्माण कराया जाएगा।


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