Friday, February 4, 2011

शिक्षा सुधार एजेंडे पर योजना आयोग का ब्रेक


शिक्षा में सुधार एजेंडे को लेकर कपिल सिब्बल ने भले ही बहुत शोर मचाया हो, लेकिन अब उस पर ब्रेक भी लग सकता है। बड़ी चुनौती स्कूली शिक्षा, खास तौर से शिक्षा का अधिकार कानून के अमल व सर्वशिक्षा अभियान में आ सकती है। वजह यह है कि जितने धन की जरूरत है, उतना दे पाने में योजना आयोग ने हाथ खड़े कर दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय को उच्च शिक्षा में विस्तार और स्कूली शिक्षा की मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए जितने धन की दरकार है, योजना आयोग देने को तैयार नहीं है। बताते हैं कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सिर्फ स्कूली शिक्षा में आगामी वित्त वर्ष (2011-12) में 60 हजार करोड़ रुपये की दरकार है, जबकि योजना आयोग 40 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा देने को तैयार नहीं है। बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा के मद्देनजर अकेले सर्वशिक्षा अभियान के मद में लगभग 35 हजार करोड़ की जरूरत है, जबकि 20 हजार करोड़ से ज्यादा मिलने की उम्मीद नहीं है, जो चालू वित्तीय वर्ष के 19 हजार करोड़ रुपये से महज एक हजार करोड़ ही ज्यादा है। मंत्रालय के उच्चपदस्थ सूत्रों की मानें तो उसके सामने शिक्षा का अधिकार कानून पर प्रभावी अमल, साक्षरता, खास तौर से महिला साक्षरता के लिए साक्षर भारत जैसी योजना, व्यावसायिक स्कूली शिक्षा की चुनौतियां सामने हैं। मिड-डे-मील (मध्यान्ह भोजन) को 6वीं कक्षा से बढ़ाकर जूनियर हाईस्कूल तक कर दिए जाने की चुनौती और बढ़ गई है। जबकि सर्वशिक्षा अभियान की सफलता के बाद आए दबाव से निपटने के लिए राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान को भी ज्यादा तवज्जो दिए जाने की जरूरत है। इसके अलावा नवोदय विद्यालयों व केंद्रीय विद्यालयों के खर्च व विस्तार की योजनाएं हैं। इसी तरह उच्च शिक्षा में नए आइआइटी, नए आइआइएम, नए विश्वविद्यालयों, इनोवेटिव विश्वविद्यालयों के अलावा नए उच्च शिक्षण संस्थानों के भवनों, बुनियादी सुविधाओं व अन्य संसाधनों को उपलब्ध कराना जरूरी है। सूत्र बताते हैं कि इस सबके लिए मंत्रालय को आगामी बजट में कम से कम 20 हजार करोड़ रुपये चाहिए, लेकिन उसमें भी 13,500 करोड़ से ज्यादा मिलने के आसार नहीं हैं। गौरतलब है कि चालू वित्तीय वर्ष में उच्च शिक्षा में लगभग 11 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। कपिल सिब्बल ने बुधवार को ही शिक्षा के बजट के मसले पर योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया से बातचीत की थी।


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