Saturday, February 19, 2011

जैन शिक्षण संस्थानों में दखल नहीं दे सकती हरियाणा सरकार


पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अपने एक आदेश में कहा कि सरकार को अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं के आंतरिक प्रबंधन में दखल देने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि क्योंकि हरियाणा में जैन अल्पसंख्यक हैं, इसीलिए प्रदेश सरकार जैन समाज द्वारा संचालित शिक्षण संस्थाओं के प्रबंधन में दखल नहीं दे सकती। भले ही सरकार इन संस्थाओं को 95 प्रतिशत आर्थिक सहायता देती हो। हाईकोर्ट ने इस संबंध में प्रदेश सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें हाईकोर्ट के एकल जज के फैसले को चुनौती दी गई थी। यह आदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की खंडपीठ ने दिया। हरियाणा सरकार ने कोर्ट में कहा था कि सरकार अंबाला के आत्मानंद जैन कॉलेज को 95 प्रतिशत आर्थिक सहायता देती है, इसलिए वह इस कॉलेज को उचित प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देश जारी कर सकती है। हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील सत्यपाल जैन एवं धीरज जैन ने जैन कॉलेज की ओर से बहस करते हुए कहा कि हरियाणा में जैन समाज अल्पसंख्यक है। सरकार उनके संस्थान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। सरकार का ऐसा कोई भी आदेश संविधान के अनुच्छेद 29 एवं 30 का उल्लंघन होगा। खंडपीठ ने कहा कि इस बात में कोई विवाद नहीं है कि हरियाणा में जैन समाज अल्पसंख्यक है। इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई निर्णयों में कहा है कि जिन शिक्षण संस्थाओं को संविधान के अनुच्छेद 29 एवं 30 के अंतर्गत अल्पसंख्यक समाज स्थापित करता है, सरकारें उनके आंतरिक प्रबंधन में दखल नहीं दे सकती। खंडपीठ ने प्रबंध समिति के आकार तय करने तथा प्रबंध समिति के निर्णयों पर समीक्षा करने के हरियाणा सरकार के निर्णय को कानूनी रूप से अवैध बताया है। उन्होंने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा अब तक के निर्णयों के विपरीत है।

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