Wednesday, February 16, 2011

एनसीएचईआर के अधीन होगा मेडिकल अनुसंधान


मेडिकल शिक्षा पर अधिकार को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच छिड़ी जंग में एकतरफा तो किसी की नहीं चली, लेकिन कपिल सिब्बल के मंत्रालय का पलड़ा थोड़ा भारी जरूर हो गया। प्रधानमंत्री कार्यालय में दोनों के बीच बनी सहमति में नई राह यह निकली कि विश्वविद्यालय स्तर तक की पढ़ाई के मामले दोनों मंत्रालयों के अलग-अलग प्रस्तावित निकायों के ही अधीन रहेंगे। लेकिन दोनों के दायरे में अनुसंधान के विषय पूरी तरह राष्ट्रीय उच्च शिक्षा एवं शोध आयोग (एनसीएचईआर) के ही अधीन रहेंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में मंगलवार को हुई दोनों मंत्रालयों के आला अधिकारियों की बैठक में उनके प्रस्तावित नए निकायों के दायरे तय हो गए। विश्वविद्यालय स्तर तक की मेडिकल पढ़ाई के न्यूनतम मानक, उसके लिए पाठ्यचर्या (कैरीकुलम) और जरूरी दिशानिर्देश स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रस्तावित राष्ट्रीय मानव संसाधन स्वास्थ्य परिषद (एनसीएचआरएच) के ही दायरे में आएंगे। इसी तरह मेडिकल कॉलेजों को मान्यता और उनके निरीक्षण का अधिकार भी इसी के पास होगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन प्रस्तावित राष्ट्रीय उच्च शिक्षा एवं शोध आयोग (एनसीएचईआर) का उसमें कोई दखल नहीं होगा। लेकिन अनुसंधान के सारे प्रकरण एनसीएचईआर के दायरे में आएंगे। अनुसंधान की नीति और उससे जुड़े सभी जरूरी दिशानिर्देश एनसीएचईआर ही बनाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय व एनसीएचआरएच भी उसे मानेंगे। हालांकि एनसीएचईआर में अनुसंधान के प्रकरणों को लिए अलग से बनने वाले बोर्ड में सभी संबंधित निकायों के सदस्य होंगे। अनुसंधान के मामलों को अंतिम हरी झंडी एनसीएचईआर ही देगा। उसके बाद उस पर उससे संबंधित एजेंसी के नियम-कायदे लागू होंगे। जबकि मल्टी डिसिप्लिनरी अनुसंधान (जिनमें कई एजेंसियां व विभाग शामिल हों) के मामले में एनसीएचईआर का ही फैसला अंतिम होगा। दोनों मंत्रालयों के बीच बनी इस सहमति के बाद अब दोनों ही अपने-अपने प्रस्तावित नियामक निकायों के विधेयक के मसौदे में जरूरी बदलाव करेंगे। बदलाव के बाद दोनों उन मसौदे पर फिर से मशविरा कर सकते हैं, जबकि उसके बाद दोनों मंत्रालय अपने-अपने विधेयक को कैबिनेट व संसद में पेश करने की दिशा में कदम उठाएंगे। कपिल सिब्बल व गुलाम नबी आजाद के मंत्रालय में अर्से से इस मसले पर विवाद चल रहा था। उसे सुलझाने के लिए बीती चार फरवरी को भी प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठक हुई थी।

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