Wednesday, February 23, 2011

पंजाब में क, ख, ग भी नहीं जानते 7वीं के बच्चे


केंद्र और राज्य सरकार द्वारा सालाना करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद पंजाब में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था की बदहाली कम नहीं हो रही है। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सातवीं के बच्चों को क, , ग तक की पहचान नहीं है। वे ज और ल जोड़कर जल भी नहीं बता पाते। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने हाल ही में अमृतसर के सरकारी स्कूलों का दौरा किया तो यह हकीकत सामने आई। निरीक्षण दल ने उच्चाधिकारियों को भेजी रिपोर्ट में कहा है कि स्कूलों में मुआयना करने के दौरान छात्रों का अक्षर ज्ञान शून्य मिला। सरकारी हाई स्कूल मल्लूनंगल पहुंच कर सातवीं के विद्यार्थियों से मातृभाषा पंजाबी की वर्णमाला पूछी तो अधिकतर बच्चों ने चुप्पी साधे रखी। कई बार बच्चों की नजरें अक्षरों की पहचान करने में फेल हो गईं। सातवीं कक्षा के बच्चों को जब कुछ संधि के सवाल पूछे तो बच्चे संधियों के नाम बताना तो दूर छोटे-छोटे शब्दों की संधि तक नहीं बना पाए। अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में बाकायदा लिखा है कि उन्हें हैरानगी है कि ये छात्र आखिर सातवीं कक्षा तक पहुंच कैसे गए हैं जब उनके ज्ञान को देखा जाए तो वह प्राइमरी के लायक भी नहीं हैं। इसी रिपोर्ट के मुताबिक, उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी कुछ ऐसा ही हाल है। अफसरों ने खुलासा किया है कि जगदेव कलां स्थित सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल पहुंची और यहां प्लस टू के विद्यार्थियों से अंग्रेजी भाषा में सेल्फ इंट्रोडक्शन (आत्म परिचय) देने के लिए कहा, लेकिन 35-40 विद्यार्थी अपना खाता न खोल सके। कोई भी अपना परिचय अंग्रेजी में नहीं दे सका। अफसरों ने खुद ही छात्रों से उनके परिचय से संबंधित सवाल पूछे तो भी कोई छात्र जवाब नहीं दे सका। इतना ही नहीं पाठ्यक्रम से संबंधित सवाल पूछने पर भी विद्यार्थी बगले झांकते नजर आए। मात्र एक विद्यार्थी ने हौसला कर चार-पांच लाइनें सुना कर क्लास टीचर और विद्यार्थियों की इज्जत पर बट्टा लगने से बचाया। निरीक्षण दल के मुखिया कैलाश शर्मा ने बताया कि वह स्कूलों के पढ़ाई के स्तर की रिपोर्ट डीजीएसई कार्यालय को भेज रहे हैं। इन स्कूलों के खिलाफ डीजीएसई कार्यालय द्वारा कार्रवाई की जाएगी। हालांकि उन्होंने विद्यार्थियों में अक्षर ज्ञान न होने और आत्मविश्वास की कमी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।


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