इस दिशा में 150 लै ब का नेटवर्क तैयार किया गया है प्रत्येक लैब में 10 प्रयोग किए जा सकते हैं
मोबाइल पर दोस्तों से बात करते, फेसबुक व ट्वीटर पर चैटिंग करते समय लोग अक्सर ऐसी दुनिया में चले जाते हैं जहां दूर रहते हुए भी एक-दूसरे का हालचाल जाना सकता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), आईआईएससी के वैज्ञानिकों ने प्रयोग की दिशा में ऐसे ही एक वर्चुअल (आभासी) संसार का सृजन किया है जिसके माध्यम से छात्र, प्रोफेसर एवं अन्य लोग इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी प्रयोग कर सकते हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय में संयुक्त सचिव एन के सिन्हा ने मीडिया से कहा, ‘इस दिशा में 150 वर्चुअल लैब का नेटवर्क तैयार किया गया है और प्रत्येक लैब में 10 प्रयोग किये जा सकते हैं । इस पर 80 करोड़ रुपए का खर्च आया है और इसके विस्तार तक 200 करोड़ रुपए खर्च हो सकते हैं।’ वर्चुअल लैब पर कुछ प्रयोग मुफ्त किए जा सकते हैं। हालांकि सिन्हा ने बताया, ‘कुछ खर्चीले और कठिन प्रयोग के लिए प्रयोगकर्ताओं को स्थान चुनने के लिए भुगतान करना होगा । कुछ उच्चस्तरीय प्रयोगों के लिए उपयोगकर्ताओं को जांच परीक्षा देने को कहा जा सकता है ताकि उनके पहल की गंभीरता का पता चल सके।’
इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इन वर्चुअल लैब में पाठ्य सामग्री, साफ्टवेयर और आंकड़े मौजूद होंगे और इसके माध्यम से दक्षतापूर्ण तरीके से प्रयोगों को अंजाम दिया जा सकता है। इस प्रयोगशाला में छात्रों का मार्गदर्शन करने के लिए प्राध्यापक उपलब्ध रहेंगे। यह पहल मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सौजन्य से शुरू की गई है और इस दिशा में शिक्षा मिशन के तहत ‘आभासी विश्वविद्यालय’ स्थापित करने की दिशा में भी काम किया जा रहा है।
No comments:
Post a Comment