Wednesday, February 9, 2011

दिल्ली में शिक्षा का यूं निकला दीवाला


राजधानी के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी की वजह से बच्चों की शिक्षा पर विपरीत असर पड़ रहा है। सरकारी स्कूलों में बच्चों की हालत जग जाहिर है जिसमें एक-एक कक्षा में क्षमता से कई गुना ज्यादा बच्चे बैठे हुए दिख जाएंगे। ऐसी स्थिति में भी मंजूर शिक्षकों के पदों में से चार हजार से अधिक पद खाली हैं। इसका खुलासा शिक्षा निदेशालय ने सूचना के अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी के तहत किया है। शिक्षा निदेशालय से दैनिक जागरण संवाददाता ने 12 जनवरी को सूचना के अधिकार के तहत शिक्षकों की संख्या का जवाब मांगा था। आरटीआइ में पूछा गया था कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के कितने पद मंजूर हैं, अभी कितने पद रिक्त हैं और मौजूदा समय में कितने शिक्षक हैं। निदेशालय की ओर से जो जवाब आया है, उससे राजधानी में बेहतर शिक्षा व्यवस्था के दावे की पोल खुल गई है। शिक्षा निदेशालय ने बताया कि सरकारी स्कूलों में टीजीटी (ट्रेंन्ड ग्रेजुएट टीचर) के सरकार की ओर से मंजूर पदों की संख्या 25 हजार 6 सौ 92 है। सरकारी स्कूलों में 18 जनवरी, 2011 तक के हिसाब से 4 हजार 63 पद खाली हैं। यानी सरकारी स्कूल की एक कक्षा में बच्चे होने चाहिए 40-50 लेकिन वहां आपको 70-80 बच्चे दिख जाएंगे और शिक्षकों की कमी सौ-दो सौ नहीं, बल्कि 4 हजार से अधिक है। यह आंकड़ा दिल्ली की सरकार की शिक्षा व्यवस्था के लिए एक बड़ा प्रश्न चिह्न खड़ा कर रहा है। सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या करीब 14 लाख है और टीजीटी शिक्षकों की संख्या 21 हजार 6 सौ 29 है।


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