Wednesday, March 2, 2011

मास्टरों को ठीक करेगी मानक आचार संहिता


इसमें बच्चों की भावनात्मक संवेदना का विशेष ध्यान रखा गया है शिक्षकों को बच्चों को डरानेध मकाने, परेशान करने, शारीरिक दंड देने व यौन उत्पीड़न की सख्त मनाही है
स्कूलों में छात्रों के अप्रत्याशित आचरण, शिक्षकों की प्रतिक्रि या, शारीरिक दंड, यौन र्दुव्‍यवहार आदि के कारण उत्पन्न विषम परिस्थितियों को देखते हुए राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने शिक्षकों के लिए मानक आचार संहितापेश की है। इसमें बच्चों की भावनात्मक संवेदना का खास ध्यान रखा गया है। शिक्षकों को बच्चों को डरानेध मकाने, परेशान करने, शारीरिक दंड देने और यौन उत्पीड़न की सख्त मनाही की गई है जिससे छात्रों को मानसिक एवं भावनात्मक परेशानी से संरक्षण मिल सके। संहिता के अनुसार, शारीरिक दंड, जहां प्रकट रूप से दिखते हैं वहीं भावनात्मक एवं यौन र्दुव्‍यवहार के घाव बाल मन को लम्बे समय तक पीड़ित करते हैं। इसकी गंभीरता को समझते हुए छात्रों के भावनात्मक एवं मानसिक संरक्षण पर कक्षा से जुड़े एनसीपीसीआर के नये दिशानिर्देशों को शिक्षकों के व्यवहार का मार्गदर्शक सिद्धांत बताया गया है। एनसीटीई के अध्यक्ष प्रो. मोहम्मद अख्तर सिद्दिकी ने कहा, ‘इस आचार संहिता पर शिक्षविदों, सामाजिक संगठनों एवं शिक्षा के घटकों से राय आमंत्रित की गई है।उन्होंने कहा कि शिक्षक आचार संहिता को तैयार करने में वि बैंक, अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ और राज्य सरकार से सलाह ली गई है। आचार संहिता में शिक्षकों से सुप्रीम कोर्ट और एनसीपीसीआर की ओर से तैयार उन दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने को कहा गया है जो स्कूलों एवं कार्यस्थल से जुड़े यौन उत्पीड़न के बारे में हैं। एनसीईआरटी के पूर्व निदेशक प्रो. एके शर्मा की अध्यक्षता में गठित समिति ने इस आचार संहिता को तैयार किया है। आचार संहिता में शिक्षकों को छात्रों के आध्यात्मिक, शारीरिक, सामाजिक, बौद्धिक, भावनात्मक और नैतिक विकास में सहायक बनने और स्कूली जीवन में बच्चों के आत्मसम्मान का आदर करने की सलाह दी गई है। शिक्षकों से बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र उद्घोषणा का अध्ययन करने को कहा गया है जिसपर भारत ने हस्ताक्षर किए हैं। इसके अलावा बच्चों के अधिकारों एवं उनकी चिंताओं के बारे में बेहतर समझ बनाने के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की रिपोर्ट को भी पढ़ने की सलाह दी गई है। आचार संहिता में शिक्षकों से ऐसे योजनाबद्ध एवं सुनियोजित प्रयास करने को कहा गया है जिससे बच्चों की वास्तविक क्षमता और प्रतिभा को सामने लाया जा सके। पुस्तक में दर्ज बातों को पढ़ाते हुए संविधान में कही गई बातों एवं मूल्यों का पालन करने की सलाह दी गई है। शिक्षकों से ऐसी भावनाओं को फैलाने से भी बचने को कहा गया है जिससे धर्म एवं भाषा के आधार पर भावनाएं आहत होती हों।

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