Saturday, March 26, 2011

सिब्बल से टकराए सैम पित्रोदा


प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शिक्षा क्षेत्र में कामकाज को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल की तारीफ करने में भले ही न चूकते हों, लेकिन उनके एक सलाहकार सैम पित्रोदा ने उच्च शिक्षा में अब तक के प्रयासों पर सवाल उठा दिया है। पित्रोदा ने कहा कि सुधारों की बात सिर्फ बहस तक सीमित है, जबकि जरूरत उस पर अमल की है। उन्होंने उच्च शिक्षा की हकीकत जानने के लिए सर्वे की जरूरत को भी यह कहकर खारिज कर दिया कि इससे सुधारों में और देरी होगी। नवोन्वेषण, बुनियादी ढांचा और जन सूचना मामलों पर प्रधानमंत्री के सलाहकार सैम पित्रोदा शुक्रवार को यहां केंद्रीय व राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के कामकाज पर बोल रहे थे। उन्होंने दो टूक कहा, उच्च शिक्षा की हकीकत जानने के लिए कतई सर्वेक्षण की जरूरत नहीं है। इससे सुधारों के अमल में और देरी होगी। मंत्रालय के इस फैसले से वह हैरान हैं। उन्होंने कहा कि देश में विचारों की कमी नहीं है। ज्यादा नहीं तो 80 फीसदी तो है ही और उस पर काम की जरूरत है। कार्रवाई न करना भी एक अपराध है। वक्त आ गया है कि काम हो। देश भर के विश्वविद्यालयों के कुलपति सम्मेलन में मौजूद हैं। उनकी राय यहां ली जा सकती है। पित्रोदा इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने कुलपतियों को खुद एक प्रश्नावली भी दी और कहा कि उस पर वे अपनी राय मंत्रालय को भेज सकते हैं। राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के अध्यक्ष के रूप में पित्रोदा ने शिक्षा क्षेत्र में सुधारों के लिए 4-5 वर्ष पहले कई सिफारिशें की थीं। पित्रोदा ने कहा कि आयोग की इन कोशिशों के बाद भी अब तक कोई काम नहीं हो पाया है। सिर्फ विचार-विमर्श ही चल रहा है, जबकि जरूरत उस पर अमल की है। सम्मेलन की शुरुआत में कपिल सिब्बल ने कहा कि कुलपतियों व शिक्षकों के कामकाज भी मूल्यांकन होना चाहिए और यह काम छात्र कर सकते हैं। उन्होंने कुलपतियों की नियुक्ति में राजनीतिक दखलंदाजी का भी सवाल उठाया। कहा, इस रास्ते से भविष्य बेहतर नहीं बन सकता, इसलिए इसे हर हाल में बंद होना चाहिए। उन्होंने पाठ्यचर्या व शिक्षा की रूपरेखा को लेकर शिक्षकों के धरना-प्रदर्शन पर उतरने के लिए कड़ी नाराजगी जताई। कहा दुनिया के किसी भी देश में ऐसा नहीं होता। शिक्षकों को कोई दिक्कत हो तो उस पर बात करनी चाहिए|

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