Monday, March 28, 2011

उच्च शिक्षण संस्थाओं में एकल प्रवेश परीक्षा का सुझाव


प्रधानमंत्री के विज्ञान सलाहकार परिषद के प्रमुख सीएनआर राव ने देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थाओं में दाखिले के लिए एकल प्रवेश परीक्षा लेने का सुझाव दिया है, ताकि छात्र परीक्षा में उलझने के बजाय रचनात्मक कार्यों से जुड़ सकें। वरिष्ठ वैज्ञानिक राव ने पिछले हफ्ते मानव संसाधन विकास मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा है कि हमारे देश में परीक्षा प्रणाली तो है, लेकिन व्यावहारिक शिक्षा प्रणाली का अभाव है। पिछले कई वर्षों से परीक्षाओं पर ज्यादा तवज्जो दी जा रही है और उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा अहम बन गई है। राव ने कहा कि आइआइटी प्रवेश परीक्षा को युवा इतना अधिक महत्व दे रहे हैं कि अंतत: बड़ी संख्या में छात्रों का शिक्षा के प्रति रुझान घट रहा है। उन्होंने कहा कि इस चलन को देखते हुए विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं के आधार पर एक परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए। हालांकि उच्च शिक्षा में सुधार के संबंध में सिफारिश करने वाली मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित समिति के अध्यक्ष रहे प्रो. यशपाल को देश के सभा उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एकल प्रवेश परीक्षा का सुझाव व्यवहार्य नहीं लगता। प्रो. यशपाल ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थाओं में एक प्रवेश परीक्षा से राव का अभिप्राय क्या है, इस बारे में मुझे मालूम नहीं है, लेकिन यदि उनका अभिप्राय मेडिकल, इंजीनियरिंग, प्रबंधन, विज्ञान, मानविकी आदि के लिए एक प्रवेश परीक्षा से है तो मुझे नहीं लगता कि यह व्यवहार्य होगा। राव ने अपने पत्र में लिखा है कि कब ऐसा समय आएगा, जब युवा केवल परीक्षा के बारे में सोचना छोड़कर कुछ रचनात्मक करने की दिशा में उन्मुख होंगे। इस दिशा में वर्तमान परीक्षा प्रणाली की समीक्षा की जाने की जरूरत है। उन्होंने लिखा है कि विश्वविद्यालय परीक्षा लेने के बोझ से दबे हुए हैं। कुछ विश्वविद्यालय तो ऐसे हैं, जिनसे कई शिक्षण संस्थाएं संबद्ध हैं। गौरतलब है कि देश में 22 करोड़ बच्चे स्कूली शिक्षा के दायरे में आते हैं, लेकिन इनमें महज 1.3 करोड़ ही विश्वविद्यालय स्तर तक पहुंच पा रहे हैं। सरकार ने मौजूदा 12 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात को वर्ष 2020 तक बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया है|

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