Sunday, April 3, 2011

जरूरी योग्यता के बिना ही पढ़ा रहे 21 फीसदी शिक्षक


बच्चों को अनिवार्य व मुफ्त शिक्षा के लिए कानून के अमल में आने के एक साल बाद भी चुनौतियां कम नहीं हुई हैं। छह से 14 साल के 81 लाख बच्चों को स्कूल अब भी नसीब नहीं हो पाया है। पांच लाख से अधिक अतिरिक्त शिक्षक, तीन लाख से अधिक प्रशिक्षक और 14 लाख से अधिक अतिरिक्त क्लासरूम की जरूरत है। 21 प्रतिशत शिक्षकों के पास पढ़ाने की योग्यता नहीं है, लेकिन वे भी पढ़ा रहे हैं। शिक्षा का अधिकार कानून अमल के एक साल पूरा होने के बाद मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने माना कि कानून के अमल की दिशा में बेहतर पहल के बावजूद यह हकीकत चिंताजनक है कि 81 लाख बच्चे अभी भी स्कूल से महरूम हैं। अलबत्ता बीते वर्षों में सर्वशिक्षा अभियान के नतीजे अच्छे रहे हैं। साक्षरता दर 74 प्रतिशत से अधिक हो गई है। लड़कियों की साक्षरता दर में 12 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि पांच लाख से अधिक और शिक्षकों और आर्ट व शारीरिक शिक्षा जैसे पाठ्यक्रमों के लिए तीन लाख से अधिक प्रशिक्षकों की कमी को अगले तीन साल में पूरा किया जाएगा। देश के 9 प्रतिशत स्कूल अभी भी सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि जो अभी पढ़ा रहे हैं, उनमें से 21 प्रतिशत के पास शिक्षकों की योग्यता नहीं है। सबसे अहम् सवाल स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का है। लिहाजा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने अधिसूचना जारी कर दी है। उन्हें पांच साल में सारी योग्यताओं को पूरा करना होगा।


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