Monday, April 11, 2011

12वीं योजना में शोध विवि पर रहेगा जोर


अमेरिका और चीन की तुलना में शोध में काफी पीछे रहने और युवाओं को हुनरमंद बनाने की धीमी रफ्तार की चुनौती को सरकार भांप गई है। लिहाजा देश में अगला दौर शोध विश्वविद्यालयों और ज्यादा से ज्यादा व्यावसायिक (वोकेशनल) शिक्षा के कॉलेजों का है। सरकार की मंशा 2020 तक उच्च शिक्षा के कुल दाखिले में 50 प्रतिशत व्यावसायिक शिक्षा में कराने की है। सूत्रों के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शिक्षा क्षेत्र में अगले वर्षों की चुनौतियों के मद्देनजर अभी से तैयारी शुरु कर दी है। 12वीं योजना (2012-2017) में शोध को बढ़ावा देने वाले विश्वविद्यालयों को खोलने पर उसका सबसे ज्यादा जोर होगा। बताते हैं कि सरकार 2020 तक छोटी-छोटी ऐसे लगभग 50 विश्वविद्यालयों को खोलने का इरादा रखती है, जिनमें छात्रों की संख्या अधिकतम पांच हजार तक ही हो। ताकि उसमें शोध आदि पर ज्यादा बेहतर ढंग से काम हो सके। इसी तरह युवाओं को व्यावसायिक शिक्षा के जरिए हुनरमंद बनाने पर भी खास फोकस किया जाना है। बताते हैं कि 2007-08 में उच्च शिक्षा में कुल 1.63 करोड़ दाखिले में से सरकारी संस्थानों के तकनीकी व व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में सिर्फ 16 प्रतिशत छात्रों ने दाखिले लिये थे। 2020 तक इसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य तय किया गया है। लिहाजा 12वीं पंचवर्षीय योजना से ही इस क्षेत्र को खास तवज्जो देनी होगी। उसके लिए कम और मध्यम अवधि के एक या दो वर्षीय एसोसिएट डिग्री या डिप्लोमा जैसे पाठ्यक्रम शुरू किये जा सकते हैं। सरकार ने उन पर विचार करना शुरू कर दिया है। विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में व्यावसायिक शिक्षा के पाठ्यक्रमों को बढ़ावा देने, मानक को तय करने, जरूरी दिशा-निर्देश जारी करने के लिए एक राष्ट्रीय तंत्र का गठन भी किया जा सकता है|

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