Friday, October 26, 2012

नहीं हो सका केंद्रीय विवि में एकल प्रवेश परीक्षा पर फैसला



ठ्ठराजकेश्वर सिंह, नई दिल्ली दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की दुविधा के चलते केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एकल प्रवेश परीक्षा पर गुरुवार को सहमति नहीं बन पाई। नए केंद्रीय विश्वविद्यालयों के अलावा पांच विश्वविद्यालय ही इसके पक्ष में दिखाई दिए। दूसरी तरफ, उच्च शिक्षा में सुधार पर अर्से से चल रही बहस के बीच विश्वविद्यालयों और कुलपतियों को जवाबदेह बनाने की बात आगे बढ़ने लगी है। आने वाले दिनों में कुलपति बनने के पहले आवेदक को विश्वविद्यालय की बेहतरी की पांच साल की कार्ययोजना का खाका पेश करना होगा। नियुक्ति हुई तो विशेषज्ञ समूह निश्चित समय पर उनकी कार्ययोजना की समीक्षा भी करेगा। इसके साथ ही कुलपतियों ने विश्वविद्यालयों से बेहतर नतीजों के उपायों पर जोर दिया है। बैठक में केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एकल प्रवेश परीक्षा का मुद्दा नहीं सुलझ सका। तमिलनाडु केंद्रीय विवि के कुलपति प्रो.बीपी संजय को इस पर रिपोर्ट देनी थी। वे नहीं दे सके, लेकिन बताया कि पुराने विश्वविद्यालय इसे लेकर उत्साहित नहीं है। अलबत्ता, नए विश्वविद्यालय जरूर ऐसा चाहते हैं। बैठक के बाद मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि सिर्फ पांच विश्वविद्यालयों ने ही एकल प्रवेश परीक्षा पर सहमति जताई है। बताया जाता है कि इस मुद्दे पर जेएनयू और डीयू ऊहापोह में हैं। नवंबर में होने वाली परिषद की अगली बैठक में इस पर फिर चर्चा होगी। बैठक में विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता पर तो जोर दिया, लेकिन खुद की जिम्मेदारी तय होने से गुरेज नहीं किया। सूत्रों के मुताबिक, परिषद के सदस्यों ने तय किया है कि किसी विश्वविद्यालय के कुलपति पद के लिए छांटे गए आवेदकों से उनकी पांच साल की कार्ययोजना को लेकर पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन लिया जाना चाहिए। आवेदकों को बताना होगा कि कुलपति पद पर उनकी नियुक्ति होने पर वे विश्वविद्यालय को कैसे और बेहतर बनाएंगे। रिसर्च आदि कैसे बढ़ाएंगे, बगैरह-वगैरह। फिर, कार्ययोजना में सबसे काबिल पाए गए आवेदक को ही कुलपति नियुक्त किया जाए। सूत्रों की मानें तो स्वायत्तता के मद्देनजर परिषद ने फैकल्टी के कुल पदों में दस प्रतिशत की नियुक्ति का अधिकार विश्वविद्यालयों को दिए जाने और विशेषज्ञ समूह से इनके कामकाज की समीक्षा पर भी सहमति बनी है। उसके आधार पर उनकी भी जवाबदेही तय होगी। बैठक में विश्वविद्यालयों के बीच क्रेडिट ट्रांसफर (एक विश्वविद्यालय में दाखिले के बाद बाकी की पढ़ाई दूसरी जगह से पूरी करने के लिए उसके उत्तीर्ण परीक्षा के अंकों का नए संस्थान में ट्रांसफर करना) पर भी सैद्धांतिक सहमति तो जताई गयी, लेकिन उस पर बहुत कुछ तय होना बाकी है। इसके अलावा आंतरिक ऑडिट और गैर योजना मद में अनुदान के मसलों पर भी चर्चा हुई है।
Dainik jagran National Edition 26-10-2012   Education pej-6

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