Friday, October 19, 2012

यूनिवर्सिटीज को पांच साल के भीतर करने होंगे शैक्षणिक सुधार



समयसीमा के भीतर सुधार न कर पाने वाली यूनिवर्सिटीज की रोकी जाएगी फंडिंग, मान्यता भी हो सकती है रद्द
राकेश नाथ/एसएनबी नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से संबद्ध तमाम केन्द्रीय व अन्य विश्वविद्यालयों को पांच साल के भीतर सेमेस्टर सिस्टम लागू करने के साथ ही अन्य शैक्षणिक सुधार करने होंगे। निर्धारित समय में ऐसा न कर पाने वाले विश्वविद्यालयों की न सिर्फ फंडिंग रोक दी जाएगी, बल्कि उनकी मान्यता भी समाप्त की जा सकती है। यूजीसी ने इस बाबत दिशानिर्दे श तैयार कर लिए हैं। आयोग ने कहा है कि बारहवीं योजना के तहत शैक्षणिक व प्रशासनिक सुधारों को लेकर तैयार किए गए एक्शन प्लान को हर हाल में पूरा करना होगा। दिल्ली विश्वविद्यालय समेत अन्य केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को सेमेस्टर सिस्टम, च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम, करिकुलम डेवलपमेंट, एडमिशन प्रॉसिजर व परीक्षा सुधारों को लेकर बनाई गई यूजीसी की योजनाओं को निर्धारित समयसीमा में पूरा करना होगा। यूजीसी द्वारा इस बाबत पहले भी जारी पत्र में उच्च शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए बनाई गई योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए कहा जा चुका है। यूजीसी के मुताबिक, ग्यारहवीं योजना में भी शैक्षणिक व प्रशासनिक सुधारों को लेकर एक्शन प्लान तैयार किया गया था। इस प्लान को भी समयबद्ध तरीके से पूरा करना था। इसके लिए दो साल का समय तय किया गया था। लेकिन सभी यूनिवर्सिटीज में यह योजना अभी तक लागू नहीं हुई है। हालांकि दिल्ली विश्वविद्यालय में सेमेस्टर सिस्टम पहले ही लागू किया जा चुका है। क्रेडिट सिस्टम लागू करने के लिए बीटेक कोर्स शुरू किया जा रहा है। आयोग ने बारहवीं योजना में एक्शन प्लान को फंडिंग व मान्यता से जोड़ दिया है। विश्वविद्यालयों के लिए यह निर्देश वेबसाइट पर डाल दिए गए हैं। विश्वविद्यालयों को एक्शन रिपोर्ट 30 नवम्बर तक आयोग को भेजनी होगी।


Rashtirya sahara National Edition 19-10-2012 Education Pej-5

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