ठ्ठजागरण ब्यूरो, नई
दिल्ली आइआइटी, एनआइटी
समेत दूसरे केंद्रीय इंजीनियरिंग शिक्षण संस्थानों में एक ही
संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) से दाखिले की कोशिशें परवान चढ़ती दिख रही
हैं। इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने वाले 29 डीम्ड
विश्वविद्यालयों में से दो-चार को छोड़ बाकी ने भी इस पर हां कर
दी है। हरियाणा, गुजरात
व उत्तराखंड
सहित कुछ और राज्यों ने भी इसे अपनाने पर रजामंदी दे ही है। सूत्रों
के मुताबिक कुल 65 डीम्ड
विश्वविद्यालयों में 29 में
ही इंजीनियरिंग
की पढ़ाई होती है। उनमें ज्यादातर इसके लिए राजी हैं। कुल सात डीम्ड
विश्वविद्यालय एकल संयुक्त प्रवेश परीक्षा के पक्ष में नहीं रहे हैं। शुक्रवार
को मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल, मंत्रालय के अधिकारियों
व छह डीम्ड विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों के बीच इस मसले पर फिर
से विचार-विमर्श हुआ। सूत्रों की मानें तो इस दौरान दो खास
डीम्ड विश्वविद्यालय बिट्स पिलानी व वीआइटी-वेल्लूर
(तमिलनाडु) ने एकल संयुक्त प्रवेश परीक्षा की नई व्यवस्था में
शामिल होने से साफ इन्कार कर दिया। उनका तर्क था कि वे देश ही नहीं, विदेश
तक में खुद की प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं, लिहाजा वे नई व्यवस्था
में नहीं शामिल होना चाहते। बाकी ने इस पर विचार कर बाद में निर्णय
लेने का भरोसा दिया है। बताते हैं कि गुजरात, उत्तराखंड और महाराष्ट्र
के अलावा ओडिशा, गोवा
व पश्चिम बंगाल ने भी राष्ट्रीय स्तर पर एकल संयुक्त प्रवेश
परीक्षा के लिए रजामंदी दे दी है। हालांकि, पश्चिम बंगाल
ने इसे 2015 से, गुजरात, हरियाणा
व उत्तराखंड ने 2013 से
और बाकी ने 2014 से
अपनाने की बात कही है। गौरतलब है कि इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए संयुक्त
दाखिला बोर्ड (जैब) इस साल देश के अलावा सिंगापुर, कोलंबो, दुबई
व कुछ
अन्य देशों में जेईई-मुख्य का ऑनलाइन आयोजन करने जा रहा है।
Dainik Jagran National Edition 6-10-2012 Education Pej -4
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