Tuesday, December 28, 2010

रिमोट ट्रिगर्ड लैब बनाएगी घर बैठे इंजीनियर

अब वह दिन दूर नहीं जब दूरदराज गांव में बैठा छात्र कंप्यूटर स्क्त्रीन पर इंजीनियरिंग की पूरी पढ़ाई पढ़ सकेगा। अभियांत्रिकी तकनीकी शिक्षा में थ्योरी के साथ लेबोरेट्री के सभी डिमोस्ट्रेशन प्वाइंट टू प्वांइट स्क्रीन पर ही हो सकेंगे। यह सब कुछ संभव होगा रिमोट ट्रिगर्ड लैब से। दयालबाग शिक्षण संस्थान ने 11 अन्य संस्थानों के सहयोग से इस लैब को तैयार किया है। देश के इंजीनियरिंग संस्थानों में छात्र-छात्राओं के सामने सबसे बड़ी समस्या बेहतर लेबोरेट्री का न होना है, वहीं इंटरनेट के युग में घर पर पढ़ाई करने वाले छात्रों को प्रैक्टिकल के लिए संस्थानों का सहारा लेना पड़ता है। अभियांत्रिकी तकनीकी में बेहतर आयाम बनाने के उद्देश्य से मंत्रालय स्तर पर इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी। लैब तैयार करने का जिम्मा मंत्रालय द्वारा दयालबाग शिक्षण संस्थान के अलावा 11 अन्य तकनीकी संस्थानों को सौंपा गया। संस्थान के फिजिक्स एंड कंप्यूटर साइंस विभाग ने प्रोजेक्ट के तहत यह लैब तैयार की है। लैब तैयार करने वाले विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर (डीएलएसआई डिजाइन) डॉ. सीएम मारकन बताते हैं कि लैब सिस्टम की कनेक्टिविटी सैटेलाइट के जरिये इंटरनेट से जोड़ी जाएगी। इसमें लैब की वेबसाइट पर विशेषज्ञों की स्पीच, ई बुक्स, प्रैक्टिकल के लिए हर तरह के सर्किट का इस्तेमाल करने को प्वाइंट टू प्वाइंट सुविधा उपलब्ध होगी। वेबसाइट के माध्यम से छात्र कंप्यूटर पर लैब और थ्योरी की पूरी पढ़ाई बारीकी से कर सकेंगे। इसके माध्यम से वाइवा भी पंजीकृत होने वाले संस्थान में दिया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि लैब तैयार हो चुकी है और संस्थान ने ट्रायल के तौर पर एनसीआर के 18 इंजीनयिरिंग संस्थानों को पंजीकृत किया है, जहां के छात्रों को सुबह 11 से चार बजे तक की कनेक्टिविटी दी जा रही है। देश भर में ट्रायल सफल रहा है। शीघ्र ही प्रोजेक्ट की फाइनल रिपोर्ट मंत्रालय को भेज दी जाएगी। ऐसे कर सकेंगे इस्तेमाल : भारत सरकार छात्रों को डेढ़ हजार रुपये में कंप्यूटर सुविधा देने की तैयारी कर रही है। इस कंप्यूटर पर इंटरनेट की कनेक्विटी मिलने के बाद इच्छुक छात्र संबंधित इंजीनियरिंग संस्थान से पंजीकरण कराएंगे और फिर इसके बाद उन्हें पासवर्ड एलॉट होगा। उस पासवर्ड के जरिये बेवसाइट पर वह लैब इस्तेमाल कर सकेंगे। एक लैब से पढ़ेंगे हजारों छात्र : अमूमन एक लैब में 20-25 छात्र-छात्राएं ही एक बार में लाभान्वित हो पाते हैं, मगर इस तरह की आधुनिक लैब से कई हजार छात्र-छात्राएं जुड़ सकेंगे। लैब डिजायनर डॉ. सीएम मारकन कहते हैं कि इससे अंडर ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और शोधार्थी लाभान्वित हो सकेंगे। साथ ही लैब स्थापित करने में बजट का भी कम खर्चा होगा। लैब तैयार करने वाले संस्थान : दयालबाग शिक्षण संस्थान के अलावा आइआइटी दिल्ली, मुंबई, आइआइटी कानपुर, आइआइटी खरगपुर, आइआइटी मद्रास, आइआइटी रुड़की, आइआइटी गुवाहाटी, आइआइटी हैदराबाद, अमिृता यूनिवर्सिटी एवं दो अन्य।

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