Monday, December 27, 2010

शिक्षा का उद्देश्य

जीवन निर्माण के अनेक महत्त्वपूर्ण घटक हैं। उनमें एक महत्त्वपूर्ण घटक है शिक्षा। शिक्षा से जीवन बनता है, संवरता है और नये निर्माण के क्षितिज उन्मुक्त होते हैं। यह सब तभी सम्भव है जब शिक्षा के उद्देश्य सही हों। जो विद्यार्थी केवल जीविका या उपाधि के लिए पढ़ते हैं, वे उसे जीवन के साथ कैसे जोड़ पाएंगे? आज विश्व के सामने जितनी समस्याएं हैं, शैक्षिक समस्या भी उनमें समाविष्ट है। ज्ञान प्राप्त करना और सेवा के लिए समर्पित होना-शिक्षा का मूलभूत आदर्श रहा है। इसकी विस्मृति होने के कारण सारी व्यवस्था गड़बड़ा रही है। इसका सबसे पहला प्रभाव पड़ा है शिक्षक और विद्यार्थी के सम्बंधों पर। एक समय था, उनके बीच गुरु-शिष्य का रिश्ता था। विद्यार्थी के मन में शिक्षक के प्रति बहुमान का भाव था। शिक्षक अध्यापन को अपना व्यवसाय नहीं, कर्त्तव्य मानते थे। कर्त्तव्य के आसन पर जब से जीविका प्रतिष्ठित हुई, बहुमान के भाव का लोप हो गया। शिक्षा क्यों? इस प्रश्न का छोटा सा उत्तर है-व्यक्तित्व निर्माण। इस उद्देश्य को थोड़ा सा विस्तार दिया जाये तो-आध्यात्मिकवैज्ञानिक व्यक्तित्व का निर्माण। अध्यात्म बहुत ऊंचा तत्त्व है, पर वह जब तक विज्ञान को लेकर नहीं चलेगा, अधूरा रहेगा। इसी प्रकार विज्ञान बहुत उपयोगी है पर अध्यात्म के अभाव में उसकी विध्वंसक शक्ति पर नियंतण्रनहीं हो पाएगा। उपयोगी होने पर भी एक-दूसरे से बिछुड़कर दोनों अधूरे हैं। इसी सत्य को अभिव्यक्ति देते हुए प्रज्ञा गीत में कहा गया है- कोरी आध्यात्मिकता युग को प्राण नहीं दे पाएगी। कोरी वैज्ञानिकता युग को त्राण नहीं दे पाएगी। दोनों की प्रीति जुड़ेगी, युगधारा तभी मुड़ेगी। क्या-क्या पाना है पहले आंक लो। अध्यात्म हमारी चेतना के केन्द्र में है और विज्ञान परिधि में है। जो केन्द्र में रहता है, मौलिक होता है, आधार होता है। परिधि में रहने वाला सहयोगी होता है, संरक्षक होता है। कोरा अध्यात्म युग में प्राण नहीं भर पाएगा और कोरा विज्ञान त्राण देने की क्षमता का विकास नहीं कर पाएगा। इस दृष्टि से दोनों का योग आवश्यक है। जब अध्यात्म और विज्ञान निकट आएंगे, दोनों में सद्भाव जागेगा। दोनों का एक साथ उपयोग होगा, तभी युगधारा को मोड़ दिया जा सकेगा। शिक्षाविद् इस बात पर अपना ध्यान केंद्रित करें, आध्यात्मिक-वैज्ञानिक व्यक्तित्व के निर्माण को प्रमुखता दें तो शिक्षा जगत की अहम समस्याओं का समाधान हो सकता है। 

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