Wednesday, December 22, 2010

विधि कॉलेजों की मान्यता की जांच करेगी सीबीआइ

उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद के ग्लोबल कॉलेज ऑफ लॉ के लिए रिश्वत की लेन-देन तो महज बानगी है। इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों की तरह विधि कॉलेजों को मान्यता देने में बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी के संकेत मिले हैं। सीबीआइ की मानें तो रिश्वत लेकर विधि कॉलेजों को मान्यता देने का रैकेट पूरे देश में फैला है। विधि कॉलेजों को मान्यता देने और सीटें निर्धारित करने का काम बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) के जिम्मे है। सूत्रों के मुताबिक जल्द ही अन्य कॉलेजों को मान्यता देने के मामले में भी आरोपियों के खिलाफ नई एफआइआर दर्ज की जा सकती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बीसीआइ के सदस्य राजेंद्र राणा और उपाध्यक्ष आर धनपाल राज के घर और बीसीआइ के दफ्तर से मिले दस्तावेज मान्यता देने के नाम पर चल रहे गोरखधंधे की पोल खोलने के लिए काफी हैं। धनपाल राज के चेन्नई स्थित घर पर मारे गए छापे के दौरान करोड़ों रुपये की नामी-बेनामी संपत्ति के अलावा 75 लाख रुपये नकद मिले हैं। यह रकम रिश्वत की हो सकती है। सीबीआइ ने पिछले साल अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) के अध्यक्ष और इस साल मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) के अध्यक्ष के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर छापा मारा था। इनसे मिले दस्तावेजों के आधार पर 40 से अधिक इंजीनियरिंग कॉलेजों और 12 से अधिक मेडिकल कॉलेजों को मान्यता देने में गड़बड़ी के आरोप में एफआइआर दर्ज की जा चुकी हैं। सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बीसीआइ मुख्यालय और उसके अधिकारियों के यहां से बरामद दस्तावेजों की पड़ताल की जा रही है। इसके साथ ही पिछले कुल सालों में जिन-जिन विधि कॉलेजों को मान्यता दी गई है, उनसे संबंधित फाइलों की भी जांच की जाएगी और गड़बड़ी पाए जाने पर नई एफआइआर दर्ज कर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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