Monday, July 25, 2011

वित्त मंत्री की घोषणा पर एचआरडी ने जताया एतराज


नई दिल्ली वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी भले ही संप्रग सरकार के खजाने के मालिक हों लेकिन ऐसा नहीं है कि वे जिसे जो चाहें दे दें। वित्त मंत्री ने एक निजी उच्च शिक्षण संस्थान को एकमुश्त 10 करोड़ रुपये का विशेष अनुदान का एलान तो अपने बजट में कर दिया, लेकिन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियम-कायदों के दायरे में वह उसका पात्र ही नहीं है। यही वजह है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) ने पात्रता की शर्ते पूरी किए बगैर उसे अनुदान देने में हाथ खड़े कर दिए हैं। वित्त मंत्री ने इस साल फरवरी में अपने बजट भाषण में मद्रास स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (एमएसइ) चेन्नई को दस करोड़ रुपये का विशेष अनुदान दिए जाने की घोषणा की थी। इस संस्थान के संचालक मंडल के चेयरमैन डॉ. सी रंगराजन हैं। वित्त मंत्री के इस एलान पर अमल की कोशिशें तो चालू वित्त वर्ष के शुरू में ही हो गई थीं, लेकिन अब तक उस पर अमल नहीं हो पाया है। वजह यह है कि यूजीसी सिर्फ उन्हीं सरकारी, डीम्ड या निजी विश्वविद्यालयों व कॉलेजों को अनुदान दे सकता है, जो यूजीसी अधिनियम की धारा 2-एफ व 12-बी के तहत उसके यहां से मान्यता प्राप्त हों। मद्रास स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स इन उपबंधों के तहत यूजीसी से मान्यता प्राप्त ही नहीं है। सूत्रों के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अनुदान व विशेष अनुदान के लिए यूजीसी के इन नियमों-कायदों की बाबत वित्त मंत्रालय के साथ ही मद्रास स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स को भी अवगत करा दिया है। हालांकि मंत्रालय ने विशेष अनुदान के लिए मना नहीं किया है, लेकिन यह भी साफ कर दिया है कि अनुदान के जरूरी मापदंडों को पूरा करने के बाद ही वह मदद कर पाएगा। मंत्रालय ने मद्रास स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स को 2-एफ व 12-बी की मान्यता के लिए यूजीसी में आवेदन की सलाह दी है।

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