Thursday, September 8, 2011

परीक्षाओं में अब गोपनीयता का बहाना नहीं चलेगा


प्रतियोगी परीक्षा संचालित कराने वाली संस्थाओं को अब पुरानी मानसिकता को बदलना होगा और सूचना का अधिकार (आरटीआइ) कानून के तहत परीक्षार्थियों को परीक्षा से जुड़ी सारी जानकारी उपलब्ध करानी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है। जस्टिस आरवी रवींद्रन और एके पटनाइक की पीठ ने इस फैसले के साथ इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स (आइसीएआइ) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था इस पारदर्शिता कानून के तहत एक अधिकारी संस्था होना चाहिए, जो आरटीआइ के लिए आने वाले आवेदनों की छंटनी करे। पीठ ने कहा, गोपनीयता का बहाना अब ज्यादा दिन नहीं चलेगा। प्रतियोगी परीक्षा संचालित कराने वाली संस्थाओं, जैसे आइसीएआइ को समझना होगा यह युग ज्यादा से ज्यादा सूचनाओं के आदान-प्रदान का है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि पारदर्शिता ही एकमात्र रास्ता है, जो भ्रष्टाचार को कम कर सकता है। जजों ने कहा, इसमें संदेह नहीं कि पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए अतिरिक्त काम करना और रिकॉर्डो को ज्यादा संभाल कर रखना होगा। पीठ ने कहा कि अतिरिक्त काम को सूचना न देने की ढाल के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इन संस्थाओं को आरटीआइ के प्रावधानों को स्वीकारना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश आइसीएआइ द्वारा दायर उस अपील की सुनवाई करते दिए जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त कर सकते हैं।


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