Monday, September 19, 2011

यूपी में स्नातक में 45 फीसदी अंक वाले भी दे सकेंगे टीईटी

 लखनऊ प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में अध्यापकों की भर्ती के लिए प्रदेश में अनिवार्य की गई शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में अब बीए, बीएससी व बीकॉम के अलावा स्नातक स्तर पर विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रम उत्तीर्ण कर एक वर्षीय बीएड पास करने वाले अभ्यर्थी भी शामिल हो सकेंगे। टीईटी के लिए स्नातक में न्यूनतम 50 फीसदी अंक की अनिवार्यता को 45 फीसदी कर दिया गया है। डीएड (विशेष शिक्षा) और बीएड (विशेष शिक्षा) उत्तीर्ण अभ्यर्थी भी टीईटी में शामिल हो सकेंगे। अनुसूचित जाति/जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, विकलांग श्रेणियों के अभ्यर्थियों को अर्हक अंकों में 5 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। टीईटी के बारे में 7 सितंबर को जारी शासनादेश में बदलाव करते हुए शासन ने संशोधित आदेश जारी कर दिया है। शिक्षा के अधिकार के तहत राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने 23 अगस्त 2010 को अधिसूचना जारी कर प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट के तौर पर टीईटी को अनिवार्य कर दिया था। उस अधिसूचना में ही एनसीटीई ने शिक्षकों की भर्ती के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता भी तय कर दी थी। एनसीटीई की उस अधिसूचना के आधार पर ही राज्य सरकार ने बीती 7 सितंबर को प्रदेश में टीईटी के आयोजन के बारे में शासनादेश जारी किया था। शासनादेश में कहा गया था कि टीईटी में वह सभी परीक्षार्थी शामिल हो सकेंगे, जिन्होंने न्यूनतम 50 फीसदी अंकों के साथ बीए/बीएससी/बीकॉम किया हो तथा एनसीटीई से मान्यता प्राप्त व उप्र सरकार से संबद्धताप्राप्त संस्था से एक वर्षीय बीएड किया हो। इस बीच एनसीटीई ने 29 जुलाई को नई अधिसूचना जारी कर शिक्षकों की भर्ती के लिए पूर्व में निर्धारित की गई शैक्षिक योग्यता में संशोधन कर दिया। नई अधिसूचना के मुताबिक ऐसे सभी अभ्यर्थी, जिन्होंने न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के स्नातक और बीएड अर्हता या राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (मान्यता, मानदंड और क्रियाविधि) विनियमों के अनुसार न्यूनतम 45 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक तथा शिक्षा में एक वर्षीय स्नातक (बीएड) उत्तीर्ण किया हो, जनवरी 2012 तक कक्षा एक से पांच तक के लिए शिक्षक नियुक्त किये जाने के लिए पात्र होंगे

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