Friday, September 7, 2012

शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार सबसे जरूरी



ठ्ठजागरण ब्यूरो, नई दिल्ली सरकार तो बहुत दिन से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात कर रही है, लेकिन अब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी इस दिशा में सुधार को सबसे ज्यादा जरूरी बताया है। पढ़ाई को क्लॉस रूम तक सीमित रखने के बजाय नए और वैज्ञानिक तरीके अपनाने पर जोर दिया है। साथ ही शिक्षा के सभी स्तर पर पाठ्यचर्या (कैरीकुलम) में नई तकनीक को लगातार अपनाए जाने की पैरवी की है। राष्ट्रपति ने शिक्षक दिवस के मौके पर देश भर से आए 310 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित करने के मौके पर ये बातें कहीं। शिक्षकों को उनके दायित्वों को बोध कराते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा, सपनों का भारत बनाने के लिए शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार सबसे बड़ी जरूरत है, जबकि, पढ़ाई के तौर- तरीकों में भी बदलाव अपेक्षित है। पाठ्यचर्या विकास में हर स्तर पर नई तकनीक को शामिल किया जाना जरूरी होना चाहिए। नई पीढ़ी को ज्यादा सीखने के अवसर के मद्देनजर पढ़ाई के अत्याधुनिक तौर-तरीके अपनाए जाने की जरूरत है। शिक्षकों को ज्यादा से ज्यादा नई संभावनाओं को तलाशनी चाहिए, जिससे वे सामाजिक विकास में अधिक से अधिक योगदान दे सकें। योग्य और बेहतर शिक्षक अपनी क्षमता और उत्कृष्टता में विकास के लिए शोध का सहारा लेते हैं। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि आज के दौर में भी चरित्र निर्माण और अच्छा ज्ञान उपलब्ध कराने में शिक्षक की अहम भूमिका तो है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि ज्ञान उपलब्ध कराने का माध्यम उन्हीं तक सीमित है। कार्यक्रम के दौरान पहली बार स्कूली शिक्षकों को सूचना संचार तकनीक की श्रेणी में 20 अतिरिक्त पुरस्कार भी दिए गए। पुरस्कार के तहत शिक्षकों को एक प्रमाण पत्र, रजत पदक और 25 हजार रुपये की नकद धनराशि दी जाती है।

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