Tuesday, November 6, 2012

देश में 50 नए उच्चस्तरीय शोध केंद्र स्थापित होंगे



नई दिल्ली (एसएनबी)। केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री शशि थरूर ने सोमवार को कहा कि हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति समय के अनुकूल नहीं है और पहले भी नहीं थी। उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों की जरूरत पूरी करने के लिए देश की मौजूदा शिक्षा पण्राली से ‘सुशिक्षित’ स्नातक नहीं मिल पा रहे हैं। जिससे कंपनियों को प्रशिक्षण के बहाने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में घुसने का मौका मिल रहा है। नए राज्यमंत्री ने कहा कि देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में कारगर शोध के लिए 50 उच्चस्तरीय केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव है। यहां आयोजित दो दिवसीय उच्च शिक्षा सम्मेलन में थरूर ने कहा कि पश्चिम एशिया और चीन विदेशी विश्वविद्यालयों को आकर्षित करने के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं। ताकि वह उनके वहां जाकर अपने परिसर स्थापित करें, जब कि भारत ने हाल के वर्षो में विदेशों के कई अकादमिक निवेदन खारिज कर दिए। उन्होंने कहा कि अगर भारत में ही उच्च शिक्षा संस्थान स्थापित हो तो भारतीय छात्रों के विदेशों में जाने की जरूरत नहीं होगी। इसलिए शिक्षा क्षेत्र में सुधार के एजेंडे पर हम तेजी से काम करेंगे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों, आईआईटी तथा अन्य प्रौद्योगिकी संस्थानों में विज्ञान जैसे विषयों में शोध के लिए उच्चस्तरीय 50 केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव है। थरूर ने कहा कि अगर यह केंद्र स्थापित हो जाएंगे तो देश में शोध का माहौल ही पूरी तरह बदल जाएगा। उन्होंने शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा मिशन की स्थापना करने तथा काकोदकर समिति की सिफारिशों के साथ-साथ शोध के क्षेत्र में व्यय दो फीसद बढ़ाए जाने पर जोर दिया। थरूर ने कहा कि रोजगार के पर्याप्त अवसरों के अभाव में देश में शिक्षित रोजगारों की संख्या बढ़ रही है। जिससे उनके माओवादी और आतंकवादी बनने का खतरा बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि भारत में 621 विश्वविद्यालय तथा 33500 महाविद्यालय हैं, जिसके चलते यहां दुनिया भर में सबसे बड़ा उच्च शिक्षा संस्थान नेटवर्क है। छात्रों की भर्ती के मामले में हमारा स्थान दूसरा है।
भारतीय कंपनियों की जरूरत पूरी करने के लिए देश की मौजू दा शिक्षा पण्राली से ‘सुशिक्षित’ स्नातक नहीं मिल पा रहे हैं


Rashtirya Sahara National Edition 6-11-2012 शिक्षा Page -13

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