Monday, September 17, 2012

उच्च शिक्षा में सुधार की सिफारिशें लागू न होने से प्रो. यशपाल खिन्न



नई दिल्ली (एजेंसी)। उच्च शिक्षा में व्यापक सुधार की सिफारिशें तीन वर्ष बाद भी लागू नहीं हो पाई है। सुधारों के लिए केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व अध्यक्ष प्रो. यशपाल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। मगर समिति की सिफारिशों को लागू न करने पर प्रो. यशपाल खिन्नता प्रकट की हैं। यशपाल समिति के सुझावों के आधार पर ही उच्च शिक्षा में सुधार के बारे में पांच महत्वपूर्ण विधेयक तैयार किये गए हैं । स्कूली शिक्षा में सुधार पर भी प्रो. यशपाल के नेतृत्व में राष्ट्रीय पाठ्यर्चया 2005 तैयार की गई थी। इसी के आधार पर 10वीं कक्षा में परीक्षा को वैकल्पिक बनाने और अंक की बजाए ग्रेडिंग पण्राली लागू की गई। यशपाल ने कहा कि उच्च शिक्षा में सुधार पर सुझाव देने के लिए गठित समिति ने जून 2009 को 94 पन्नों की ‘‘उच्च शिक्षा पुनर्गठन एवं पुनरोद्धार’’
रिपोर्ट पेश की थी । लेकिन सरकार ने अभी तक इस दिशा में कोई खास पहल नहीं की है। स्थिति लगभग ज्यों की त्यों बनी हुई है। प्रो. यशपाल के नेतृत्व में गठित समिति ने यूजीसी, एआईसीटीई, एनसीटीसी आदि को एक शीर्ष निकाय राष्ट्रीय उच्च शिक्षा नियामक परिषद (एनसीएचईआर) के दायरे में लाने का सुझाव दिया था। समिति ने कुकुरमुत्ते की तरह फैल रहे तकनीकी संस्थाओं के लिए सख्त मानक तय करने और इसे कसौटी पर कसने की प्रक्रि या तैयार करने का सुझाव दिया था। इसके साथ ही शैक्षणिक कदाचार पर लगाम लगाने के लिए मजबूत तंत्र बनाने का भी सुझाव दिया गया था। समिति ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के विस्तार और पूर्ण विश्वविद्यालय के रूप में विकास करने का सुझाव दिया है। उच्च शिक्षा संस्थाओं में दक्ष शिक्षकों की भर्ती करने के साथ विशिष्ठ विषयों पर आधारित ज्ञान और शोध कार्य के लिए आधारभूत संरचना तैयार करने पर भी जोर दिया गया है। यशपाल ने कहा कि समिति ने अपनी रिपोर्ट में न केवल उच्च शिक्षा के समक्ष उत्पन्न होनी वाली चुनौतियों का जिक्र किया बल्कि इसके लिए उपाए भी सुझाए। लेकिन सरकार आगे नहीं बढ़ पा रही है, संसद में काम नहीं हो रहा है। समिति ने रिपोर्ट में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राज्य पोषित कार्यक्र मों के लिए केंद्रीय वित्तीय सहयोग का दायरा बढ़ाये जाने की भी सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि गलत विश्वविद्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थाओं को बंद करने का मामला उच्चतम न्यायालय में चला गया। उच्च शैक्षणिक संस्थाओं के नियमन के संदर्भ में संबद्धता एवं मान्यता प्राप्त करने वाला निकाय अभी तक नहीं बन पाया है।


No comments:

Post a Comment