नई दिल्ली, प्रेट्र : निजी स्कूलों को अपने यहां एक
चौथाई सीटें गरीब बच्चों को आवंटित करनी होंगी। सुप्रीम
कोर्ट ने निजी स्कूलों की उस याचिका को स्वीकारने से इन्कार
कर दिया है, जिसमें
इस बाबत शीर्ष अदालत के फैसले की समीक्षा करने की
गुहार लगाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम की
संवैधानिक वैधता बरकरार रखते हुए निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए 25 फीसद
कोटा निर्धारित किया था। मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाडि़या, जस्टिस
केएस राधाकृष्णन और जस्टिस स्वतंत्र कुमार की पीठ ने इस
संबंध में दाखिल पुनर्विचार याचिकाएं बुधवार को खारिज कर
दीं। पीठ ने कहा, कोर्ट
गत 12 अप्रैल
के अपने उस आदेश को बरकरार रखता है, जिसमें
सभी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों से अपनी सीटों का 25 प्रतिशत गरीब
बच्चों के लिए आरक्षित करने को कहा गया था। इनमें सरकारी सहायता पाने वाले
अल्पसंख्यक संस्थान भी शामिल हैं। जस्टिस राधाकृष्णन ने हालांकि अलग फैसले
में कहा, बच्चों
को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा से जुड़े आरटीई अधिनियम के
तहत सीटों का आरक्षण संवैधानिक रूप से मान्य नहीं है। किसी भी गैर सहायता
प्राप्त स्कूल पर 25 प्रतिशत
सीटें कमजोर वर्ग को आरक्षित करने का दबाव नहीं डाला जा
सकता है। लेकिन, तीनों
जजों ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम की संवैधानिक वैधता
को बरकरार रखा है।
दैनिक जागरण राष्ट्रीय
संस्करण पेज -1,20-9-2012
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