ठ्ठराजकेश्वर सिंह, नई
दिल्ली देश
के हजारों कालेजों की केंद्रीय मदद में विश्वविद्यालयों का गैरजरूरी अड़ंगा
अब नहीं चलेगा। विश्वविद्यालयों अस्थायी संबद्धता के बहाने कालेजों को
कई वर्ष तक नहीं लटका सकेंगे। विश्वविद्यालयों को संबद्धता का फैसला एक निश्चित
अवधि में करना ही पड़ेगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) कालेजों
की वित्तीय मदद में भी उदार होना चाहता है। लिहाजा, आयोग संबद्धता के
नियमों में बदलाव करने जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, आयोग
चाहकर भी देश के ऐसे हजारों कालेजों की वित्तीय मदद
नहीं कर पाता, जिनकी
किसी विवि से स्थायी संबद्धता नहीं है। किसी विश्वविद्यालय
या कालेज को यूजीसी अधिनियम के तहत पात्रता रखने पर ही अनुदान
मिल सकता है। देश में लगभग 33 हजार कालेज हैं, लेकिन
संबद्धता और पात्रता
की शर्तो की अनदेखी के चलते यूजीसी सिर्फ 634 कालेजों को ही अनुदान देता
है। कई बार विवि जानबूझकर कालेजों को संबद्धता नहीं देते। हर साल फीस लेकर
एक साल की अस्थायी संबद्धता देते हैं, जबकि नियमानुसार पांच
साल तक सभी
शर्ते पूरी करने के बाद निश्चित फीस लेते हुए उन्हें स्थायी संबद्धता दी
जानी चाहिए। मापदंडों
पर खरा नहीं उतरने पर कालेज को स्थायी संबद्धता से मना किया जा सकता
है। ऐसे में संबंधित कालेज छह महीने बाद ही फिर से आवेदन कर सकता है। इन
स्थितियों में आयोग नियमों में बदलाव कर सकता है। किसी
कालेज के संबद्धता
आवेदन के समय ही उसे बताया जा सकता है कि एक निश्चित अवधि में मापदंडों
को पूरा करने पर स्थायी संबद्धता मिलना तय है।
Dainik Jagran
National Edition 3-10-2012 Education PeJ -3
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