शैक्षिक रूप से पिछड़े जिलों में बीते पांच वर्षो में 374 मॉडल डिग्री कालेज खोलने में नाकाम रही सरकार अब उच्च शिक्षा में बेहतरी के नए टोटके आजमाने की सोच रही है। उसका इरादा अब सर्वशिक्षा अभियान की तर्ज पर राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान शुरू करने का है। उसके तहत जिलों में नए डिग्री कालेज खोलने पर विचार चल रहा है। राज्य सरकारों को जमीन तो मुफ्त उपलब्ध करानी ही होगी, जबकि बाकी खर्च में तीन चौथाई बोझ केंद्र उठा सकता है। सूत्रों के मुताबिक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान नाम से प्रस्तावित नई योजना का मसौदा तैयार किया है। उसके तहत 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) में शैक्षिक रूप से पिछड़े जिलों में 374 मॉडल डिग्री कालेज खोलने की शुरू की गई योजना को उसमें मिला दिया जाएगा। नए विश्वविद्यालयों को खोलने की पहल होगी। पहले से चल रहे विवि को उच्चीकृत किया जाएगा। नए डिग्री कालेज भी खुलेंगे। गौरतलब है कि पिछली योजना में 374 मॉडल डिग्री कालेज खोलने के लिए लागत का एक तिहाई खर्च केंद्र को, जबकि बाकी दो तिहाई राज्यों को उठाना था। आठ करोड़ की लागत से बनने वाले इन डिग्री कालेजों के लिए केंद्र 2.66 करोड़ रुपये ही दे रहा था। खर्च के बड़े बोझ के चलते राज्यों ने हाथ खींच लिए और पांच साल में लगभग 80 डिग्री कालेज ही खुल पाए। लिहाजा इस बार प्रस्तावित योजना में केंद्र व राज्यों के बीच खर्च का बंटवारा 75:25 करने पर विचार चल रहा है। जबकि विशेष दर्जा वाले राज्यों में यह बंटवारा 90:10 का हो सकता है। जबकि नए संस्थानों के लिए मुफ्त में जमीन उपलब्ध कराने का पूरा जिम्मा राज्य सरकारों पर होगा। सरकार ने उच्च शिक्षा में मौजूदा लगभग 17 प्रतिशत के सकल दाखिला दर को 2020 तक 30 प्रतिशत करने का लक्ष्य तय किया है। सरकार को उम्मीद है कि इस कदम से इस लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। साथ ही उच्च शिक्षा में क्षेत्रीय असंतुलन दूर की जा सकेगी। हालांकि इस प्रस्तावित योजना पर अमल से पहले सरकार आगामी 13 अप्रैल को राज्यों के उच्च शिक्षा मंत्रियों से मशविरा करने जा रही है।
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