महाराष्ट्र में हिंदी विरोधी मानसिकता का ठीकरा भले ही शिवसेना और मनसे जैसे दलों के सिर फोड़ा जाता है, लेकिन हकीकत यह है कि कांग्रेसनीत सरकार हिंदी को प्राथमिक स्तर की शिक्षा से बाहर करना चाहती है। महाराष्ट्र राज्य शिक्षण मंडल ने हिंदी को 5वीं कक्षा से अनिवार्य 3 भाषाओं की सूची से निकालने की भूमिका तैयार कर ली है। राज्य के सरकारी स्कूलों में पांचवी कक्षा से हिंदी, अंग्रेजी व मराठी अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाई जाती है। राज्य शिक्षण मंडल हिंदी को अनिवार्य भाषा की सूची से बाहर करना चाहता है। बुधवार को विधान परिषद में इसका खुलासा हुआ। विधान परिषद सदस्य एवं लोकभारती नामक राजनीतिक दल के अध्यक्ष कपिल पाटिल ने शिक्षण मंडल की योजना पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा, इस प्रकार के कदम से राज्य के 60 हजार शिक्षक बेकार हो जाएंगे। उन्होंने सवाल किया कि जब राज्य सरकार ने भाषा नीति में परिवर्तन नहीं किया है तो शिक्षण मंडल को ऐसा फैसला लेने की जरूरत क्यों पड़ रही है? हिंदी विरोध के लिए बदनाम शिवसेना ने इस मुद्दे पर पाटिल का समर्थन किया। हंगामे और शोरगुल के बीच विधान परिषद सभापति शिवाजीराव देशमुख ने इस विषय पर अगले सप्ताह चर्चा कराने का आश्वासन दिया है।
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