एम्स को मरीजों की स्वास्थ्य जांच व अन्य सुविधाओं की अपेक्षा अधिकारियों की शानो शौकत ज्यादा प्यारी है। आलम यह है कि पिछले वर्ष मरीजों से यूजर्स चार्ज (सुविधा शुल्क) के नाम पर डेढ़ करोड़ रुपये वसूलने में जरा भी संकोच नहीं हुआ, लेकिन मात्र पांच अधिकारियों के घरों को सजाने संवारने में एम्स ने 70 लाख रुपये खर्च कर दिए। पैसे का ऐसा खेल देश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान में हो रहा है, जिससे यह साबित होता है कि यहां भी मरीजों के इलाज से कहीं ज्यादा अधिकारी अपनी रोटी सेंकने में लगे हुए हैं। आरटीआई से प्राप्त जानकारी में यह साफ हो गया है कि सुविधा के नाम पर साल भर में आने वाले लगभग 25 लाख मरीजों से जहां 1,52,73,000 रुपये वसूले गए वहीं मात्र पांच अधिकारियों के घर को सजाने संवारने पर 73, 63, 035 रुपये खर्च किए गए। एम्स के एक सीनियर डॉक्टर ने कहा कि सालाना एक हजार करोड़ रुपये का बजट एम्स का है। लेकिन मरीजों को न तो दवा मुफ्त में मिलती है, न ही जांच फ्री में की जाती है। लंबे इंतजार के लिए मरीज विवश हैं, किंतु बेडों की संख्या नहीं बढ़ाई जाती। निर्माण कार्य लगातार जारी है, क्योंकि इससे ठेकेदारों के साथ-साथ अधिकारियों के पैसे बन रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इन दिनों निर्माण कार्य के नाम पर एम्स में पैसों का खूब खेल चल रहा है। पिछले वर्ष एम्स के इंजीनियर सेक्शन ने कार्डिए न्यूरो सेंटर के ओपीडी का निर्माण मात्र डेढ़ करोड़ रुपये में कर दिया। लेकिन हाल ही में जनरल ओपीडी के निर्माण पर लगभग 8 करोड़ रुपये खर्च किए किए, क्योंकि इसका निर्माण किसी अन्य एजेंसी से कराया गया। इससे पता चलता है कि मकसद बेहतर निर्माण कार्य का नहीं, बल्कि पैसे बनाने का है। पैसे के इस तरह दुरुपयोग पर एम्स प्रशासन चुप्पी साधे हुए है।
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