अब वो दिन दूर नहीं जब बड़ी बड़ी नामचीन कंपनिया उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के बाहर खड़ी होंगी और इंटर पास करने वाले छात्रों को स्कूल कैंपस में ही मनचाहे वेतन पर मिलेगा रोजगार। जी हां, निचले स्तर की इस रोजगारोन्मुख शिक्षा पण्राली को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। माध्यमिक विद्यालयों में व्यावसायिक शिक्षा के साथ शैक्षिक पाठ्यक्रमों के एकीकरण का मसौदा भी तैयार कर लिया गया है। इन पाठ्यक्रमों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) ने काफी अध्य्यन और विचारिवमर्श के बाद तैयार किया है। पाठ्यक्रमों का आकषर्ण यह है कि अब हाई स्कूल के छात्रों के पास यह विकल्प होगा कि यदि वे उच्च शिक्षा के रास्ते पर नहीं जाना चाहते है तो वे माध्यमिक शिक्षा में ही ऐसा पाठ्यक्रम चुन सकते है जिसे पूरा करने के बाद उन्हें आगे पढ़ने की आवश्यकता नहीं है और उन्हें मनचाहे वेतन पर अच्छी नौकरी मिल जाएगी। हां, नौकरी देने वाले (नियोक्ता) समय समय पर इन छात्रों को नौकरी के साथ पढ़ाई के अवसर भी मुहैया कराएंगे। इन पाठ्यक्रमों को तैयार करने के लिए कई विकसित देशों में माध्यमिक शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा के चालू पाठयक्रमों का अध्य्यन किया गया है। उक्त विषय पर एनआईओएस द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय की स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की सचिव अंशु वैश्य ने कहा कि बहुत से ऐसे कारण देखे गए हैं जिनके चलते कम उम्र के बच्चे अपनी पढ़ाई छोड़ देते है और इधर उधर रोजगार करने लगते है। ऐसी उम्र के बच्चों की पहचान करने के बाद इस तथ्य पर जोर दिया गया कि यदि स्कूली शिक्षा को व्यावसायिक शिक्षा की पढ़ाई से जोड़ दिया जाए तो आगे चल कर ये ही छात्र न केवल होनहार कामगार कहलाएंगे बल्कि उत्पादन की गुणवत्ता में भी काफी सुधार होगा। इन पाठ्यक्रमों का लाभ दूर दराज के छात्रों को देने के लिए इन्हें दूरस्थ शिक्षा से भी जोड़ा गया है। इस मौके पर एनआईओएस के अध्यक्ष डा. एस.एस.जेना ने छह माह से लेकर दो वर्ष तक के लिए तैयार किए गए रोजगारोन्मुख पाठ्यक्रमों का श्रीमती वैश्य से विमोचन कराया। डा. जेना ने कहा कि इन पाठ्यक्रमों को तैयार करने से पहले नियोक्ताओं के पक्ष को भी ध्यान में रखा गया है।
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