राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा के संशोधित परिणाम में फेल अभ्यर्थियों को पास करने के आरोप में माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन की गिरफ्तारी के बाद पुलिस इनके मातहतों और कई बड़े नामों से कडि़यां जोड़ने में जुट गई है। वहीं अभ्यर्थी और इन अधिकारियों के बीच कड़ी बनने वाले सैकड़ों दलालों के जाल को भेदना पुलिस के लिए आसान नजर नहीं आ रहा है। सूत्रों के मुताबिक कई दलालों ने अपने लोकेशन और सिमकार्ड बदल दिए हैं। दो हजार से अधिक लोगों के परिणाम में हेरफेर की गई है और इनसे तकरीबन 50 करोड़ रुपये वसूले गए हैं। इस धन का एक बड़ा हिस्सा इन दलालों के पास है, जो अब मौज कर रहे हैं। पुलिस ने स्वीकार किया है कि 800 लोगों का परिणाम बदलने के लिए इन अभ्यर्थियों से डेढ़ से तीन लाख रुपये तक वसूले गए हैं। इनके परिणाम में संशोधन किए जाने से स्पष्ट है कि अभ्यर्थियों से पैसा ले लिया गया है। पुलिस भले ही यह संख्या 800 बता रही हो, लेकिन शिक्षा विभाग के ही अधिकारी और शिक्षक नेता परिणाम संशोधित होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या दो हजार से अधिक बता रहे हैं। इनसे 45 से 50 करोड़ रुपये वसूले गए हैं। इन हजारों अभ्यर्थियों और शिक्षा विभाग के लोगों के बीच कड़ी बनने वाले दलालों की संख्या भी तीन सौ से अधिक है। ये दलाल बहुत प्रोफेशनल हैं। पूरे प्रदेश में फैला इनका जाल इतना सघन है कि पुलिस के लिए भेदना आसान नहीं हो पा रहा है। इस मामले में छिटपुट गिरफ्तारियों का कोई असर दलालों पर दिखाई नहीं दिया लेकिन शिक्षा निदेशक की गिरफ्तारी के बाद से इनमें भी हलचल शुरू हो गई है। कई दलालों ने अपने सिमकार्ड बदल दिए हैं और लगातार अपनी लोकेशन भी बदल रहे हैं। राजधानी में ही 12 से अधिक लोग हैं, जिनकी इस मामले में संलिप्तता शिक्षा विभाग के लोगों से छिपी नहीं है। अब ये सभी नदारद हैं। अभी तक शिक्षा निदेशक के पास से पांच लाख रुपये बरामद हुए, 87 लाख रुपये अकबरपुर, कानपुर की पुलिस ने पकड़े और पांच लाख रुपये की जमीन खरीदने का हिसाब ही पुलिस लगा सकी है। यह राशि मात्र एक करोड़ है तो बाकी का पैसा आखिर कहां है? कई और अधिकारी निशाने पर राज्य अध्यापक पात्रता परीक्षा में पैसे लेकर अभ्यर्थियों को पास कराने के मामले में तत्कालीन निदेशक संजय मोहन की गिरफ्तारी के बाद विभाग के कई अन्य अफसरों की भूमिका की भी जांच-पड़ताल की जा रही है। उनसे कभी भी पूछताछ की जा सकती है। टीईटी मामले में संजय मोहन की गिरफ्तारी के बाद शिक्षा विभाग के अफसरों को सांप सूंघ गया है। अधिकारी इस मसले पर बात करने से बच रहे हैं। सूत्रों के अनुसार अभियुक्तों से पूछताछ में एसटीएफ को कई और अफसरों के बारे में जानकारी मिली है। अब वह ऐसे अधिकारियों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। पूरे प्रकरण का पर्दाफाश होने के बाद यह तथ्य भी अहम हो गया है कि किस दबाव में यूपी बोर्ड ने परीक्षा कराने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली। सीपी तिवारी नये शिक्षा निदेशक राज्य सरकार ने आइएएस अधिकारी सीपी तिवारी को माध्यमिक शिक्षा विभाग का नया निदेशक बना दिया है। इससे पहले बुधवार को संजय मोहन को निलंबित किए जाने के बाद इस पद की जिम्मेदारी बेसिक शिक्षा निदेशक दिनेश कनौजिया को सौंपी गई थी। लेकिन एक दिन बाद ही दिनेश कनौजिया से चार्ज लेकर तिवारी को नियुक्त कर दिया गया। टूटते नजर आ रहे सपने : राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा के जरिए शिक्षक बनने का सपना देख रहे लाखों अभ्यर्थियों की उम्मीदों को कड़ा झटका लगा है। भर्ती भले ही तकरीबन 72 हजार पदों पर थी लेकिन उम्मीद सभी लगाए थे। गुरुवार को जुबिली इंटर कॉलेज पहुंचे अभ्यर्थी राजेश ने बताया कि धांधली उजागर हुई है तो दोषियों को सजा जरूर मिलनी चाहिए। निदेशक ही नहीं इसमें कई बड़े लोग भी है। पुलिस को उनकी गर्दन भी दबोचनी चाहिए। विवेक ने बताया कि बड़ी मेहनत से परीक्षा पास की है। अब चिंता है कि कहीं परीक्षा रद न कर दी जाए।
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