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यूजीसी ने सेंट्रल यूनिवर्सिटीज के
शिक्षकों को प्रमोशन में प्वाइंट सिस्टम की बाध्यता से भी दी छूट
राकेश नाथ/एसएनबी नई दिल्ली।
अब पीएचडी धारक नेट क्वालीफाई किए बिना सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में लेक्चररशिप
के लिए अप्लाई कर सकेंगे। इसी के साथ यूजीसी ने लेक्र्चस को प्रमोशन
में भी बड़ी राहत देने का फैसला किया है। उन्हें अब प्वाइंट सिस्टम की
शतरे को पूरा नहीं करना पड़ेगा। अभी तक उन पर परफॉम्रेस बेस्ड एप्रेजल सिस्टम
के तहत प्वाइंट्स लाने की बाध्यता रहती थी। एक कमेटी ने इन बदलावों के
लिए आयोग के रेगुलेशन-2010 में
संशोधन की सिफारिश की थी, जिसे
22 अक्टूबर
को हुई एक बैठक में यूजीसी ने अप्रूव्ड कर दिया है। इस बैठक के मिनट्स
अब जारी किए गए हैं। हालांकि डीयू में वर्ष 2010
के बाद से बिना नेट
वाले पीएचडी धारकों की लेक्चरर के तौर पर नियुक्ति की जा रही
है। यहां 2009 से
पहले पीएचडी कर चुके लोगों के नेट क्वालीफाई करने की बाध्यता है। जबकि
अन्य विश्वविद्यालयों में अभी तक पीएचडी के साथ नेट की बाध्यता थी। डीयू
की कार्यकारी परिषद के सदस्य राजीव रे ने बताया कि यूजीसी के नए फैसले से
अन्य यूनिवर्सिटीज में लेक्चररशिप की नौकरी पाने के इच्छुक हजारों पीएचडी
धारकों को फायदा पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों
के प्रमोशन के लिए एकेडमिक परफॉम्रेस इंडिकेट एंड परफॉम्रेस बेस्ड एप्रेजल
सिस्टम लागू कर दिया था। इसका डीयू में भी काफी विरोध हुआ था। इस योजना
के तहत प्रमोशन के लिए शिक्षकों को विभिन्न तरह की शैक्षणिक गतिविधियों
में भाग लेना पड़ता था, इसके
एवज में उन्हें प्वाइंट्स मिलते थे
और इन्हीं प्वाइंट्स के आधार पर प्रमोशन होता था। महाराजा
अग्रसेन कॉलेज के
प्राचार्य सुनील सोंधी ने कहा कि हालांकि यह योजना डीयू में लागू नहीं हुई
थी। बाद में यूजीसी ने इस संबंध में एक री-विजिट कमेटी बना दी थी। (शेष पेज
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Rashtirya Sahara National Edition 6-11-2012 शिक्षा Page-1
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