अक्षर-अक्षर दीप जला रहे शिक्षा विभाग में किस कदर अंधेरा पसरा है, यह देखने के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से मात्र 50 किलोमीटर की दूरी पर जाकर आप शिक्षा व्यवस्था विसंगतियां देख सकते हैं। जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर में 18 ऐसे प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक तैनात कर दिए गए, जहां छात्र संख्या शून्य है। इतना ही पर्याप्त नहीं था। इन 18 स्कूलों में से आधा दर्जन में तो भोजनमाता भी रख दी गईं हैं, जबकि 16 विद्यालय महज इसलिए बंद पड़े हैं कि यहां शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाई है। तकरीबन अस्सी फीसद साक्षरता दर हासिल कर चुके उत्तराखंड में शिक्षा विभाग की उलटबांसियां कोई नई बात नहीं है। ताजा मामला देहरादून जिले के चकराता ब्लॉक में सामने आया है। सूचना अधिकार में मिली जानकारी के मुताबिक, ब्लाक में कुल 214 राजकीय प्राथमिक विद्यालय हैं। इनमें से 18 स्कूलों में छात्र संख्या शून्य है। हैरत यह है कि विभाग ने इसी साल फरवरी में शिक्षा आचार्यो को प्रोन्नत कर इन स्कूलों में बतौर शिक्षा मित्र तैनाती दे दी। कुल 18 शिक्षा आचार्यो को प्रोन्नति को तोहफा देकर एक-एक स्कूल सौंप दिया गया। इसी ब्लाक में 16 प्राथमिक विद्यालयों में चार-पांच साल से सिर्फ इसलिए ताले लगे हुए हैं क्यों कि यहां शिक्षकों की तैनाती नहीं हो पाई है। चकराता के उप खंड शिक्षा अधिकारी केआर वर्मा स्वीकार करते हैं कि शिक्षकों की कमी के कारण कई स्कूल चार-पांच साल से बंद हैं। वह कहते हैं कि तमाम प्रयासों के बाद भी शिक्षक बंद पड़े इन विद्यालयों में ज्वाइनिंग नहीं दे रहे हैं।
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