शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) के तहत राजधानी के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए दिल्ली सरकार अधिकतम फीस में बढ़ोतरी करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री अरविंदर सिंह लवली ने विशेष बातचीत में इसका खुलासा किया। उन्होंने साफ तौर कहा कि निजी स्कूलों के इस अनुरोध पर दिल्ली सरकार की ओर से विचार किया जा रहा है और जल्द ही इस पर कोई फैसला सरकार ले लेगी। शिक्षा मंत्री श्री लवली ने कहा कि दिल्ली सरकार सरकारी स्कूलों के बच्चों पर जितना खर्च करती है उतना ही उन्होंने पब्लिक स्कूलों में गरीबी कोटे में पढ़ने वाले बच्चों को दे रही है। लेकिन निजी स्कूलों ने इसे कम बताकर इसे बढ़ाने का अनुरोध किया है जिस पर बातचीत चल रही है। शिक्षा अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर बैठक हुई है। दरअसल मौजूदा समय में निजी स्कूलों को दिल्ली सरकार अधिकतम प्रति बच्चा 1190 प्रति भुगतान कर रही है। अभी तक स्कूल वाले इस लिए चुप थे कि उन्हें लग रहा था सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें राहत मिल जाएगी लेकिन जिस प्रकार से सुप्रीम कोर्ट ने गरीबी कोटे के मामले में उन्हें राहत न देते हुए हर हाल में 25 फीसदी गरीबी कोटे को लागू करने का आदेश सुना दिया उसके बाद अब निजी स्कूल दिल्ली सरकार को यह कह कर दबाव बना रहे हैं कि सरकार या तो गरीबी कोटे की फीस बढ़ाए या अन्यथा वे सामान्य बच्चों की फीस में और ज्यादा इजाफा कर देंगे जिससे सामान्य बच्चों पर फीस का दबाव बढ़ेगा। इस बाबत अत्यधिक फीस वाले निजी स्कूलों ने दिल्ली सरकार को लिखित रूप से अनुरोध किया कि उनकी व्यवस्थाओं और खर्चो को देखते हुए गरीबी कोटे की अधिकतम फीस 1190 रुपए में बढ़ोतरी किया जाए। निजी स्कूलों में बीते दो सालों से गरीबी कोटे के तहत 25 फीसदी गरीब बच्चों का दाखिला हो रहा है। इसमें राजधानी के वे भी 100 पब्लिक स्कूल शामिल हैं जहां फीस 5 हजार 10 हजार रुपए तक है। 100 ऐसे स्कूल है जहां फीस 3 से 5-6 हजार प्रति बच्चा फीस है। इन स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए सरकारी फीस 1190 की गई है।
No comments:
Post a Comment